शिल्पियों तथा बुनकरों ने किया मध्यप्रदेश का नाम रोशन
शिल्पियों तथा बुनकरों ने किया मध्यप्रदेश का नाम रोशन
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उज्जैन/ब्यूरो। हथकरघा शिल्पियों तथा बुनकरों की कला को सम्मानित करने एवं हथकरघा उद्योग को समृद्ध करने रविवार को गौहर महल में 8वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर समारोह आयोजित किया गया। प्रमुख सचिव, कुटीर एवं ग्रामोद्योग श्रीमती स्मिता भारद्वाज तथा आयुक्त सह-प्रबंध संचालक हथकरघा, संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने समारोह में राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष-2021 के लिए चयनित बागप्रिंट शिल्पी श्रीमती रशीदा बी सहित अनेक बुनकरों तथा शिल्पियों को सम्मानित भी किया गया।

प्रमुख सचिव श्रीमती स्मिता भारद्वाज ने कहा कि हाथकरघा दिवस पर शिल्पियों तथा बुनकरों को सम्मानित करते हुए मैं अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रही हूँ। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि प्रदेश के शिल्पी तथा बुनकरों ने मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है। प्रमुख सचिव ने कहा कि हथकरघा उद्योग को समृद्ध करने और इस विरासत की धरोहर को संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही आर्थिक गतिविधियाँ संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि युवा पीढ़ी परम्परागत पोशाकों को अपनाएँ और हैण्डलूम तथा हथकरघा के प्रति आकर्षित हो। प्रबंध संचालक श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त करने हथकरघा उद्योग से शिल्पियों तथा बुनकरों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा हैं। साथ ही आर्थिक सहयोग एवं उत्पादित माल को बाजार उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में शिल्पी तथा बुनकरों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर इनकी कला को सम्मानित किया गया है। 


समारोह में वर्ष-2021 में राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित बागप्रिंट शिल्पी श्रीमती रशीदा बी को सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि बाग शिल्पकार रशीदा बी को केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय ने राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन किया है। उन्हें यह पुरस्कार चादर पर बाग प्रिन्ट की बारीक कारीगरी पर मिलेगा। उन्होंने प्राकृतिक रंगों से आकर्षिक लुक दिया हैं। उन्हें धार जिले के ग्राम बाग में ठप्पा छपाई कला में महारत हासिल है। इससे पूर्व भी वर्ष 2012 और 2014 में उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार मिले है। वे बाग प्रिन्ट के दुनिया में मशहूर यूनिस्को पुरस्कार विजेता मास्टर शिल्पकार स्व. अब्दुल कादर खत्री की पत्नी है।राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस पर पारम्परिक हाथकरघा क्लस्टर चंदेरी में मध्यप्रदेश की स्थापत्य कला विरासत एवं धरोहरों पर की गई नक्काशी के विशिष्ट हेरीटेज डिजाइनों को दर्शाते हुये चंदेरी के बुनकरों द्वारा विकसित की गई साडियाँ, जिन पर खजुराहो मंदिर एवं साँची स्तूप डिजाइन एवं महेश्वर किले की डिजाइन है और सिल्क एवं जरी के धागों से विकसित करने वाले बुनकरों को सम्मानित किया गया। इनमें खजुराहों मंदिर की डिजाईन के लिए श्रीमती कलावती कोली, सांची स्तूप की डिजाईन के लिए श्री घनश्याम कोली, महेश्वर किले के डिजाईन के लिए मोहम्मद गुफरान अहमद तथा महेश्वर किले की ग्राफ डिजाईन के लिए मोहम्मद अब्दुल अमान को सम्मानित किया गया।

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