अगर अब भी बचे हैं कोरोना वायरस से तो आपके लिए है बहुत बुरी खबर
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कोरोना वायरस का कहर अभी कम नहीं हुआ है और इसका ओमिक्रॉन वैरिएंट अभी भी पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। हालाँकि इस बीच वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन के BA.1 वैरिएंट के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन की क्षमता को लेकर भी चिंता जाहिर की है।जी दरअसल सामने आने वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों को कोविशील्ड के दोनों डोज मिले हैं और वे पहले कभी संक्रमण का शिकार नहीं हुए हैं, ओमिक्रॉन BA.1 वैरिएंट के खिलाफ उनकी न्यूट्रलाइजिंग पावर बहुत कम देखी गई है। जी हाँ और ऐसे लोगों में इंफेक्शन से रिकवर हो चुके और कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वालों के मुकाबले ज्यादा खतरा देखा गया।

आप सभी को बता दें कि ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) द्वारा कंडक्ट की गई स्टडी जल्द से जल्द बूस्टर डोज लेने की जरूरत की ओर इशारा करती है। जी दरअसल इस रिसर्च के लिए कोविशील्ड की दूसरी डोज के 180 दिन बाद 24 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के सीरम सैंपल कलेक्ट किए गए। साथ ही, 17 ऐसे लोगों के सैम्पल भी लिए जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था और वे कोविशील्ड की दोनों डोज ले चुके थे। जी हाँ और इन लोगों में कोविशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद भी ओमिक्रॉन का संक्रमण पाया गया।

जी दरअसल शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी सैम्पल्स ने ओमिक्रॉन के मुकाबले B.1, बीटा और डेल्टा वैरिएंट को ज्यादा प्रभावी ढंग से बेअसर किया। हालांकि सीरम सैम्पल में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी का औसत सबसे कम 0.11 पाया गया। जबकि अन्य मामलों में इसका औसत 11.28 और 26.25 था। इसी के साथ एक वैज्ञानिक के मुताबिक, सर्वाधिक म्यूटेशन वाला ओमिक्रॉन वैक्सीनेट हो चुके लोगों में डेल्टा या अन्य वैरिएंट्स के मुकाबले इम्यून से बच निकलने में ज्यादा माहिर है। जी हाँ और इससे पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी ने एक स्टडी के बाद ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कहा था कि कोविड वैक्सीन के डबल डोज का एंटीबॉडीज लेवल छह महीने के बाद कम होने लगता है।

आप सभी को बता दें कि इस स्टडी के लिए लोगों को तीन ग्रुप्स में बांटा गया था। पहले ग्रुप में उत्तर प्रदेश के 18 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जिन्होंने पहला डोज कोविशील्ड का और दूसरा डोज कोवैक्सीन का लिया था। जबकि दूसरे और तीसरे ग्रुप में ऐसे 40 लोगों को रखा था जिन्होंने कोविशील्ड या कोवैक्सीन के ही दोनों डोज लिए थे। इसका नतीजा यह बताया गया कि कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन की दूसरी डोज देने पर डेल्टा या अन्य 'वैरिएंट ऑफ कन्सर्न' के खिलाफ अच्छा रिस्पॉन्स दिया। हालांकि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ सभी ग्रुप्स में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी लेवल में कमी देखी गई।

 

 

 

 

 

 

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