अदालत का फरमान, 'मतदाता पहचान पत्र और पासपोर्ट नागरिकता के पयाप्त सबूत'

अदालत का फरमान, 'मतदाता पहचान पत्र और पासपोर्ट नागरिकता के पयाप्त सबूत'
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मुंबई: एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पासपोर्ट्स और मतदाता पहचान पत्र को नागरिकता के लिए पर्याप्त साक्ष्य को स्वीकार करते हुए पिता और पुत्र को बांग्लादेश से गैर कानूनी रूप से देश में घुसने के आरोपों से बरी कर दिया. दरअसल, पुलिस को जानकारी मिली थी कि बांग्लादेशी घुसपैठिए मुंबई के शिवाजी नगर में रह रहे हैं, जिसके बाद 57 वर्षीय मोहम्मद मुल्ला और सैफुल को वर्ष 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था.

पुलिसकर्मियों का कहना था कि पिता-पुत्र बांग्लादेश की स्थानीय भाषा में बात कर रहे थे और वे भारतीय होने का पर्याप्त साक्ष्य भी नहीं दे पाए थे. हालांकि दोनों ने अदालत में अपने भारतीय पासपोर्ट और वोटिंग आईडी पेश किए थे. अदालत ने कहा ‎कि मेरे अनुसार सैफुल की राष्ट्रीयता प्रमाणित करने के लिए पासपोर्ट एक पर्याप्त दस्तावेज है. इसी प्रकार वोटर कार्ड को भी वोटर के पक्ष में इस बात के लिए पेश किया जा सकता था कि वह भारत का नागरिक है. यह प्रमाण मोहम्मद की राष्ट्रीयता साबित करने के लिए पर्याप्त है.

अदालत ने कहा कि, आधार कार्ड राष्ट्रीयता को प्रमाणित करने के लिए सबूत नहीं है, वहीं राशन कार्ड केवल मानवीय आधार पर जारी किया जाता है, ताकि लोगों को भुखमरी से बचाया जा सके, किन्तु इसका प्रयोग नागरिकता के लिए नहीं किया जा सकता. इन सबके अलग पासपोर्ट जारी करते वक़्त अधिकारी आवेदक की राष्ट्रीयता और अन्य सभी पैमानों का सत्यापन करते हैं. 

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