पटना: बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद विवादों के केंद्र में है। यह विवाद तब बढ़ा जब स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दायर कर मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की मांग की गई। अदालत ने यह याचिका स्वीकार करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। इस घटनाक्रम के पश्चात् क्षेत्र में तनाव बढ़ गया और मुस्लिम समाज ने इस फैसले का विरोध किया।
वही इस पूरे प्रकरण पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जहां-जहां से जानकारी आ रही है, वहां-वहां से तथ्य सामने आ रहे हैं। तथ्यों को देखकर ही आदेश दिए गए हैं। अगर कोई झूठा भ्रम फैला रहा होगा, तो इस मुद्दे को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। कोई भी कोर्ट बिना तथ्य के आदेश नहीं देता।" आगे उन्होंने कहा कि इसे धर्म से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। अगर यह केवल भ्रम है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि इसमें कोई सच्चाई है, तो वह सामने आनी चाहिए। जो भी दावे कर रहे हैं, उन्हें अपने दावे के पक्ष में तथ्य प्रस्तुत करने होंगे।
शाही जामा मस्जिद पर क्या है विवाद?
शाही जामा मस्जिद, जिसे मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल में बनवाया गया था, को लेकर विवाद इस बात पर है कि इसका निर्माण कथित रूप से एक हिंदू मंदिर 'हरि हर मंदिर' के स्थान पर किया गया था। हिंदू पक्ष के एक अधिवक्ता ने इस दावे के समर्थन में अदालत में याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की कि पुरातात्विक सर्वेक्षण के जरिए इस स्थान की ऐतिहासिक सच्चाई सामने लाई जाए। अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए सर्वे का आदेश दिया। इसके बाद क्षेत्र में मुस्लिम समाज ने इस आदेश का विरोध किया। उनका कहना है कि इस प्रकार के सर्वेक्षण सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं तथा धार्मिक स्थलों की शांति भंग कर सकते हैं।
सर्वेक्षण के दौरान की घटनाएं
चंदौसी कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर को ASI की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची। इस के चलते इलाके में तनावपूर्ण स्थिति देखने को मिली। स्थानीय मुस्लिम समाज ने सर्वे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई।स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए। पुलिस ने कहा कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं तथा सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
बढ़ता तनाव और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस विवाद ने राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है। जहां एक तरफ हिंदू पक्ष सर्वेक्षण के आदेश को ऐतिहासिक सत्य को उजागर करने का कदम बता रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समाज इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास मान रहा है। कई राजनीतिक तथा धार्मिक संगठनों ने इस मामले पर अपनी राय दी है। कुछ संगठनों ने अदालत के आदेश का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इसे धार्मिक स्थलों की पवित्रता को भंग करने की कोशिश करार दिया है।