Sep 15 2015 12:31 PM
चंडीगढ़ : राजनेताओं और सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को शासकीय स्कूलों में पढ़ाना अनिवार्य किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की है। सुनवाई में प्रदेश सरकार से सवाल किए गए हैं। मामले में कहा गया कि न्यायमूर्ति एसके मित्तल और न्यायमूर्ति एमएस की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। इस मामले में इस नोटिस का जवाब 15 अक्टूबर तक देने के निर्देश भी दिए गए। मिली जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों की दशा सुधारे जाने के लिए किसी तरह के ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
कहा गया है कि यदि सरकारी विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए धन व्यय किया जाए तो उनका कायाकल्प किया जा सकता है। इस मामले में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में महज मजदूरों के बच्चे अध्ययन करते हैं। उन्हें इन सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है। ऐसा केवल इसलिए किया जाता है क्योंकि सरकारी अधिकारी व राजनेताओं के हाथ स्कूलों की कमान है। उनके बच्चे महंगे निजी विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं और ऐसे में सरकारी स्कूलों के प्रति जनता का विश्वास कम होता है। यदि अधिकारियों के बच्चे इन विद्यालयों में पढ़ेंगे तो अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होगा।
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