1960 के मध्य में कोरोना की हुई थी पहचान, विषाणुओं के होते है चार उप-समूह
1960 के मध्य में कोरोना की हुई थी पहचान, विषाणुओं के होते है चार उप-समूह
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चीन के वुहान से फैले कोरोना संक्रमण को आज पांच महीने बीत चुके है. दुनिया में सबसे पहला कोरोना संक्रमित मरीज चीन के वुहान में मिला था. काफी समय तक  वायरस से जूझने के बाद कोरोना को चीन ने महामारी घोषित किया गया था. वही, भारत में लॉकडाउन को लागू किए एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. अब तक यह वायरस 212 देशों में फैल गया है और संक्रमित मरीजों की संख्या लाखों में पहुंच चुके है. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि विश्वविद्यालयों, दवा कंपनियों और स्वास्थ्य  एजेंसियों को एक ऐसे इलाज की तलाश है. जो आने वाले समय में कोरोना हमले को नाकाम कर दे. शोधकर्ताओं द्वारा नए टीकों पर शोध कर रहे है. साथ ही, पुराने टीके में भी कोरोना के इलाज की संभावना को तलाशा जा रहा है. 

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महामारी कोरोना का वायरस एक प​रिवार की तरह होता है. एक परिवार का कहने से तात्पर्य है कि वायरस एक दूसरे के समान होते हैं, लेकिन फिर भी एक दूसरे से भिन्न होते हैं। जिसकी चिपने की क्षमता की वजह से उसे यह नाम प्राप्त हुआ है. बता दे कि वायरस आमतौर पर स्तनधारियों और पक्षियों को संक्रमित करता है; मनुष्यों में, उन्हें श्वसन पथ के रोगों का कारण माना जाता है। मनुष्यों में कोरोनावायरस की पहचान सबसे पहले 1960 के दशक के मध्य में हुई थी और इन विषाणुओं के चार मुख्य उप-समूह हैं- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा।

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