ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में हो रहा है कुछ गलत
ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में हो रहा है कुछ गलत
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कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने की वजह से लोग अपने घरों में कैद हैं। लॉकडाउन में लोगों का सबसे बड़ा सहारा स्मार्टफोन बना है। कोई मोबाइल पर गेम खेल रहा है तो अपने फोन पर वीडियो देख रहा है, लेकिन इसी बीच एक रिपोर्ट है जो हैरान करने वाली है। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन गेमिंग में जुआ तो खेला ही जा रहा है परन्तु इसके अलावा बच्चों की जिंदगी भी बर्बाद हो रही है। इसके साथ ही साल 2019 में भारत के एक स्टार्टअप ने सबसे बड़े सतरंज टूर्नामेंट का आयोजन किया। वहीं टूर्नामेंट की घोषणा के महज 12 घंटे के अंदर तीन लाख प्लेयर्स ने रजिस्ट्रेशन किए और 1 लाख सतरंज गेम का खेले गए। वहीं लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार  इस ऑनलाइन गेम का आयोजन मोबाइल प्रीमियम लीक (MPL) ने किया था जो कि एक रियल मनी गेमिंग सर्विस है। टूर्नामेंट के आयोजन से पहले सर्वर की टेस्टिंग होती ताकि गेमिंग के दौरान बैठ ना जाए।

वहीं विश्वनाथन आनंद एमपीएल के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। एमपीएल के टूर्नामेंट में विजेता को पांच लाख रुपये दिए जाते हैं, जबकि गेम में एंट्री फ्री है। इसके साथ ही कई टूर्नामेंट में 11 लाख रुपये भी विजेता को दिए जाते हैं। Deloitte की एक रिपोर्ट के मुताबिक पोकर और रमी जैसे ऑनलाइन गेम सालों-साल बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इसी बीच लॉकडाउन होने के कारण इस तरह के गेमिंग में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। वहीं पोकरबाजी गेम के मार्केटिंग डायरेक्टर वरुण गंजू के अनुसार उनकी साइट के ट्रैफिक में 25 फीसदी का और ट्रांजेक्शन में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। ऑनलाइन कार्ड गेमिंग की कमाई साल 2013-14 में 258 करोड़ और 2017-18 में 3,400 करोड़ रही है। ऑनलाइन गेमिंग में इजाफा होने का सबसे बड़ा कारण सस्ते स्मार्टफोन और सस्ता इंटरनेट है। भारत में जुआ खेलना गैरकानूनी है, परन्तु अलग-अलग राज्यों में इसके लिए अलग-अलग कानून हैं। वहीं उदाहरण के तौर पर समझें तो यदि कोई खेल भाग्य आधारित है तो उसे जुआ माना जाएगा, जबकि यदि कोई खेल कौशल आधारित है तो उसकी गिनती जुआ में नहीं होगा।

इसके साथ ही सचिन (बदला हुआ नाम) एक मार्केटिंग कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट हैं। उन्होंने 10 साल पहले पोकर खेलना शुरू किया था। पहले वे किसी क्लब में जाकर खेलते थे लेकिन अब वे ऑनलाइन पोकर खेलते हैं। सचिन का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग ज्यादा अच्छा है, क्योंकि आप घर बैठे खेल सकते हैं। सचिन पोकरबाजी पर रोजाना 10-15 घंटे गेम खेलते हैं। सचिन के मुताबिक शुरुआत में दिक्कत होती है लेकिन धीरे-धीरे गेम को समझ जाने के बाद आप पैसे कमाने लगते हैं। ऑनलाइन गेमिंग में लोग अपने टैलेंट और अनुभव के अनुसार दो रुपये लेकर 200 रुपये तक के गेम खेलते हैं। कई बार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां भी नए प्लेयर्स को टूर्नामेंट में फ्री एंट्री करवाती हैं तो कई बार बड़े-बड़े ऑफर्स देती हैं। एमपीएल ने अपने कुछ महिला गेमर्स के लिए एक स्पेशल व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है।

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