लखनऊ : वैज्ञानिकों द्वारा इस वर्ष पिछली बार की तुलना में बीस फीसद कम बारिश होने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए ऊंची जमीन पर धान की फसल से तौबा कर मक्का व अन्य फसलों को बोये जाने पर जोर दिया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मक्का न सिर्फ किसानों की घाटे में चल रही खेती को लाभ में बदलेगा बल्कि मौसम की मार झेल रहे किसानों को इससे राहत भी मिलेगी।
पिछले वर्ष धान उत्पादक किसानों के सामने बारिश न होने के कारण संकट पैदा हो गया था। जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार पिछली बार से कम बारिश होने की पूरी संभावना है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए विभाग ने किसानों को राय दी है कि खरीफ फसल में धान की अपेक्षा मक्का, तिल, बाजरा की खेती को बढ़ावा दें। क्योंकि धान की फसल के लिए सामान्य से अधिक वर्षा होनी चाहिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका सबसे अच्छा विकल्प मक्का की खेती है। मक्का को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वहीं मक्के की फसल से 35 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर लाभ अर्जित कर सकते हैं। उपज से 60 क्विंटल एवं लागत तीस हजार रुपये हेक्टेयर आती है। वैज्ञानिकों के अनुसार मक्का के बीज भी बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और जून के महीने में इसकी बुआई की जा सकती है।