स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है हरा धनिया
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है हरा धनिया
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अगर आपके भोज्य पदार्थों में हरा धनिया डालने से भोजन रुचिकर होने के साथ साथ यह अनेक गुणों से युक्त हो जाता है। हरा धनिया साग-सब्जियों को सुगंधित और अधिक स्वादिष्ट बना देता है। हरा धनिया प्यास, उल्टी, श्वास, खांसी, दुर्बलता एवं पेट के क्रतिम रोगो को मिटाता है। हरे धनिये के अभाव में सूखा धनिया डाला जाता है। धनिया रिनग्ध, वीर्य के लिए हितकारी, मूत्र उत्पन्न करने वाला, मल को रोकने वाला, पाक में मधुर और तीनों दोषों को मिटाने वाला है। रतौंधी आंख का एक रोग है। यदि हरे धनिए की पत्तियों को कुछ अधिक परिमाण अर्थात् दो-ढाई तोले तक आहार के साथ उपयोग किया जाए तो उक्त कष्ट मिट जाता है इसे दाल, कढ़ी, साग, सब्जी तथा रायता इत्यादि में मिश्रित कर सेवन किया जा सकता है।

हरे धनिए की पत्तियों का रस, सेंधा नमक डालकर घी तथा सौंफ से छोंककर तथा ठंडा कर भोजन के साथ लेने पर लाभ होता है। इसी प्रकार हरे धनिए की चटनी भोजन के साथ सेवन कर लेने से अरुचि दूर होकर भूख लगती है। हरा धनिया छोटी इलायची काली मिर्च का चूर्ण, घी और शक्कर मिलाकर लेने से भी अरुचि दूर होती है। सूखी खांसी में आप ताजे या सूखे आंवले को चटनी के साथ हरे धनिए या पत्तियां पीसकर सेवन करें। खांसी में काफी आराम मिलेगा तथा कफ, निकल जाएगा। उल्टी अथवा वमन में भी हरे धनिए के रस में सेंधा नमक और कागजी नींबू का रस मिलाकर लें, लाभ होगा।

हरे धनिए की पत्तियों के रस में सूखे आंवले को पीसकर जल में मिलाने के बाद धनिए के रस में मिलाएं और कपड़े से छानकर रोगी को दें। प्यास रुकेगी। कंठ का सूखना और मुख कड़वापन मिटेगा। धनिए की हरी पत्तियों के रस में सेंधा नमक डालकर देने से रोगी को श्वांस की तकलीफ में लाभ होता है। आँखों की सूजन व लाली में धनिया को कूटकर पानी में उबाल कर, उस पानी को कपड़े से छानकर आँखों में टपकाने से दर्द कम होता है। ऐसे और भी बहुत से रोग है जिसमे हरा धनिया काफी कारगर साबित होता है। 

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