आमिर के बयान पर आखिर क्यों सुलगी असहिष्णुता की आग!
आमिर के बयान पर आखिर क्यों सुलगी असहिष्णुता की आग!
Share:

देश के खबरिया चैनलों को देखने वाले दर्शक पैरिस की दहशतभरी सड़कों और सीरिया में उड़ने वाले लड़ाकू विमानों को देख - देखकर तंग आ चुके थे। मगर मंगलवार को उन्हें कुछ नया परोसने के लिए चटपटी और मसालेदार खबर आ ही गई। फिर से असहिष्णुता की आग में घी डाल दिया गया और आग की लपटें तेज़ हो गईं। आखिर आमिर ने ऐसा क्या किया। आमिर तो एक कार्यक्रम में गए और अपने विचार रखे।

हालांकि उनके विचारों का प्रस्तुतिकरण कुछ इस तरह का था कि उसने देश में राजनीतिक माहौल गर्मा दिया। हालांकि आमिर अपनी अभिव्यक्ति दे रहे थे लेकिन बाॅलीवुड के एक स्टार नायक होने और रियलिटी शो सत्यमेव जयते में सामाजिक मुद्दों को उठाने वाले प्रस्तोता आमिर खान से लोगों को परिपक्व बयान की उम्मीद थी। आमिर ने बतौर सेलिब्रिटी हिस्सा लिया और अपने घर की बात कही। मगर यहां उनका प्रतिनिधित्व अलग था। जिसके कारण उनका बयान उनके लिए मुश्किल भरा रहा।

आमिर के इस बयान ने कि देश में जिस तरह का माहौल है इस पर उनकी पत्नी ने कहा कि उन्हें देश छोड़कर चले जाना चाहिए। इस शो में आमिर खान एक ऐसी सेलिब्रिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे जिसने सरफरोश, लगान, पीके जैसी सामाजिक और देशभक्ति आधारित फिल्मों में अभिनय किया। यही नहीं आमिर का रियलिटी शो सत्यमेव जयते भी सामाजिकपृष्ठभूमि पर आधारित था। जिसने लोगों में एक जागृति लाई।

ऐसे कलाकार आमिर से सहिष्णुता और असहिष्णुता के मसले पर देश छोड़ने जैसी प्रतिक्रिया मिलना कुछ असहज सा लगता है। यह लोगों को और आमिर के प्रशंसकों को बेहद नागवार गुजरा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में असहिष्णुता की आग लगभग ठंडी हो चुकी थी। आमिर के बयान ने फिर इसे हवा दी। यही नहीं यह ऐसा दौर है जब दुनिया इस्लामिक आतंकवाद से घिरी हुई है। कभी आईएसआईएस बमों की वर्ष कर रहा है तो कहीं आईएसआई हमलों की प्लानिंग कर रही है।

उल्लेखनीय है कि आईएसआई भारत विरोधी आतंकवाद की जड़ें जमाने में हमेशा सक्रिय रही हैं यह बात खुफिया एजेंसियां जताती रही हैं। ऐसे में भारत के बाॅलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता और हिंदी सिनेमा में चाॅकलेटी हीरो की पहचान बना चुके अभिनेता आमिर से कुछ हीरो वाले बयान की उम्मीद लोगों को रही।

हालांकि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को है यह सभी का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में आमिर के विचारों को बेवजह तूल देना और देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना कहीं से भी सही नज़र नहीं आता। एक कलाकार की अभिव्यक्ति पर उसे और उसके परिवार को तालिबान जाने के लिए कह देना भारतीय राजनीति की सहिष्णुता पर सवाल उठाता है। भारत में विरोध होना स्वाभाविक है। मगर विरोध की आग को सांप्रदायिकता का कलेवर देना कहीं से भी उचित नहीं है। ऐसे में आमिर के पोस्टरर्स जलाना आतंकवाद से जूझते वैश्विक समय में सांप्रदायिकता को बल देना ही हो सकता है।

हां, आमिर के बयान पर सद्भावनापूर्वक टिप्पणी की जा सकती है लेकिन उन्हें तालिबान जाने के लिए कहना या फिर उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना इस मामले को बेवजह तूल देना है। ऐसे में राजनीति सांप्रदायिकता को बढ़ावा देती नज़र आती है। आमिर को डर के नाम पर राजनीति करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है या फिर आमिर खुद अपनी अभिव्यक्ति कर रहे हैं यह तो समय पर ही निर्भर है लेकिन इस तरह की राजनीति बंद होना बेहद आवश्यक है।

भारत वह देश है जहां मुसलमानों की आबादी का प्रतिशत भी विश्व के कुछ देशों की तुलना में अधिक है। मगर उन्हें अभिव्यक्ति की आज़ादी, स्वच्छंद घूमने की आज़ादी, परिधान पहनने की आज़ादी है। यही नहीं उन्हें राजनीति,शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय में ऐसी समानता दी गई है जैसी कहीं और मिलना मुश्किल है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। सुरक्षा की बात करने वाले आमिर को अपने ही बयान पर हंगामा होने के बाद पुलिस द्वारा सुरक्षा उपलब्ध करवाया जाना इस देश के लोकतांत्रिक तंत्र के सद्भाव का परिचायक है।

लव गडकरी

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -