मैगी विवाद : उपभोक्ता अदालत ने दिया नेस्ले इंडिया को नोटिस
मैगी विवाद : उपभोक्ता अदालत ने दिया नेस्ले इंडिया को नोटिस
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नई दिल्ली : शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से मैगी नूडल्स की निर्माता कंपनी नेस्ले इंडिया पर किए गए 640 करोड़ रुपये के मुकदमे में कंपनी को एक नोटिस भेजा। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की है। न्यायमूर्ति वी.के.जैन और न्यायमूर्ति बी.सी. गुप्ता की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) की पीठ ने नेस्ले को 30 सितंबर तक नोटिस का जवाब देने का आदेश दिया है। साथ ही सरकार को एक मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में लेड (सीसा) और मोनो सोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की जांच करवाने के लिए मैगी के नमूने भेजने की इजाजत दे दी है। अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद कहा, "अदालत अनुचित व्यापारिक तौर-तरीके अपनाने और विज्ञापनों एवं पैकेजिंग के जरिए उपभोक्ताओं को गुमराह करने से संबंधित मामले में सुनवाई करने को राजी हो गई है।"

सुनवाई के दौरान, पीठ ने सरकार की कार्रवाई के कारणों पर यह कहते हुए संदेह जताया कि बंबई उच्च न्यायालय का फैसला उत्पाद में लेड के मुद्दों को लेकर था। सरकारी वकील संजय जैन ने बाद में कहा, "अदालत ने ताजा व सीलबंद नमूने मांगे हैं, जिनकी जांच मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं में की जाने वाली है। आगे की कार्रवाई उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तय की जाएगी।" 30 मिनट की सुनवाई के बाद फोरम मैगी नमूनों की जांच किसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में कराने को राजी हो गया और नेस्ले इंडिया को नोटिस जारी कर सरकार की ओर से लगाए गए आरोप का जवाब देने के लिए कहा। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मामलों से संबंधित विभाग ने 11 अगस्त को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) में नेस्ले इंडिया के खिलाफ मुकदमा दायर कर उस पर मैगी को लेकर अनुचित व्यापारिक तरीके अपनाने और हानिकारक एवं त्रुटिपूर्ण उत्पादों की बिक्री के जरिए लाखों उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।

सरकार ने अपनी याचिका में कहा है, "अब साफ हो गया है कि मैगी और इसकी किस्में न तो स्वाथ्यकारी हैं और न ही मजेदार। इसके विपरीत मैगी गुणवत्ता और मानक के मामले में कंपनी द्वारा किए गए दावे से कोसों दूर है।" याचिका के मुताबिक, "मौजूदा कानूनों की पूरी तरह उपेक्षा कर दोषपूर्ण खाद्य या अन्य उत्पादों की बिक्री करने वाले कंपनियों से सुरक्षा के लिए विभाग संवेदनशील है।" बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह नेस्ले इंडिया को बड़ी राहत देते हुए इसके विभिन्न नौ इंस्टैंट नूडल्स की बिक्री पर लगी रोक हटी ली थी और तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं में नए सिरे से मैगी की जांच कराने के आदेश दिए थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसके उत्पाद देश के खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं।

न्यायालय ने यह सशर्त राहत नेस्ले इंडिया द्वारा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से पांच जून को 'मैगी इंस्टैंट नूडल्स' और 'मैगी ओट्स मसाला नूडल्स विद टेस्टमेकर' के नौ किस्मों पर रोक लगाने और बाजार से माल वापस लेने के आदेश को चुनौती दिए जाने के बाद दी थी। एफएसएसएआई ने मैगी पर रोक से संबंधित अपने पांच जून के आदेश में कहा था कि मैगी के नमूनों की जांच में निर्धारित मात्रा से अधिक लेड (सीसा) और मोनो सोडियम ग्लूटामेट मिला है।

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