नई दिल्ली : शिक्षा के भगवाकरण के विपक्ष के आरोपों को सख्त खारिज करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 27 अप्रैल को अपने बयान में यह बताया कि संविधान दायरे में ही बच्चों को शिक्षा दी जायेगी और प्रधानमंत्री इस बारे में पहले ही अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान आईसीएचआर जैसी उच्च शिक्षण संस्थाओं में हस्तक्षेप एवं कथित दलगत भावना से नियुक्तियां करने के कुछ सदस्यों के आरोपों के जवाब में आक्रामक रुख अपनाते हुए स्मृति ईरानी ने उन्हें बेबुनियाद बताया और कहा कि किसी भी संस्थान में बेवजह तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि संस्थाओं की नियुक्तियों में दलगत भावना से उपर उठकर ऐसे गणमान्य लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है जो राष्ट्र निर्माण की भावना से निष्पक्षता से काम करना चाहते हैं. मंत्री ने कहा, "जहां तक भगवाकरण के आरोपों का सवाल है मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि संविधान की मर्यादा के दायरे में बच्चों को शिक्षा दी जाएगी.
प्रधानमंत्री ने इसकी प्रतिबद्धता पहले ही प्रकट कर दी है". शिक्षण संस्थाओं के विदेशी संस्थाओं से एमओयू के बारे में मंत्रालय को सूचना देने के बारे में कांग्रेस के शशि थरूर के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग की सरकार थी तब आईआईटी एक्ट का उल्लंघन हुआ था.
उन्होंने प्रश्न किया कि क्यों एक विदेशी संस्थान के साथ एमओयू हुआ और वह कानून के उल्लंघन पर चुप क्यों रहे. उन्होंने बजटीय आवंटन में संशोधित राशि के उपयोग के संदर्भ में संप्रग की तुलना में भाजपा नीत राजग के रिकार्ड को बेहतर बताया.
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने 2015-16 के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को मंजूरी दे दी.