समलैंगिकता को मान्यता देने का फैसला अब संविधान पीठ के हाथ
समलैंगिकता को मान्यता देने का फैसला अब संविधान पीठ के हाथ
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दिल्ली. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिकता को मंजूरी मिली है., हालांकि भारत में यह  धारा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. हालांकि उच्चतम न्यायालय को याचिका भेजी गई थी, जिसमें समलैंगिकता को  को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए अपील की गई थी. आज शीर्ष न्यायालय ने यह याचिका संविधान पीठ के पास भेज दी.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि, “भारतीय दंड संहित की धारा 377 से उठे इस मुद्दे पर वृहद पीठ द्वारा विचार करने की आवश्यकता है.” धारा 377 के तहत फिलहाल समलैंगिकता पर अधिकतम उम्रक़ैद की सज़ा का प्रावधान है. दरअसल पीठ नवतेज सिंह जौहर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जौहर के वकील अरविंद दातार ने कहा कि “यह दंडनीय प्रावधान असंवैधानिक है, क्योंकि इसमें परस्पर सहमति से यौन संबंध बनाने वाले वयस्कों पर मुकदमा चलाने और सजा देने का प्रावधान है.”

दातार ने कहा, “आप परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने वाले दो वयस्कों को जेल में बंद नहीं कर सकते.” उन्होंने कहा कि “यौनाचार के लिए अपने साथी का चयन करना मौलिक अधिकार है.” जौहर की इस याचिका पर अब संविधान पीठ विचार करेगी.

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