एक साधे सब सधे सब साधे सब जाएँ
एक साधे सब सधे सब साधे सब जाएँ
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हिन्दू धर्म में बहुत सी धार्मिक परम्परों को अपनाते हुए हम जीवन यापन करते है , जैसा की आप जानते ही होंगे की ईश्वर एक है .बस मानने का रूप अलग अलग है. कोई राम तो कोई कृष्ण , कोई विष्णु ,तो कोई देवी रूप में दुर्गा , लक्ष्मी , राधा , सीता , में देखता है .

पर इस बात पर गोर करें. की हम सभी को समय समय पर पूजते रहते है. पर एकाग्रता किसी एक पर नहीं लाते है. यही हमारी कमजोरी है .कभी राम रूप पर भरोसा कर मन्नत मांगते है. तो कभी कृष्ण को निहारते है , कभी हनुमान जी को मानते है , सभी की आराधना करना तो ठीक है .पर हमारे जीवन में हमारा कोई इष्ट देव होना चाहिए .और यदि आपने इस इष्ट का सच्चे मन और ध्यान से सुमिरन कर लिया तो आप इस संसार सागर से पार हो गए .

हम आराधना तो सबकी करते रहते है .पर ध्यान किसी एक पर भी नहीं लगाते केवल अपने स्वार्थ से समय समय पर सबको पूजते रहते है . यह ठीक है .की आप सबको प्रणाम करते है .पर ध्यान ,मन में चिंतन, किसी एक रूप को मन के मंदिर में देखना यह बेहद जरूरी होता है. और यदि आपने अपनी आत्मा में किसी भी एक रूप का दर्शन कर लिया तो मानो सभी के दर्शन हो गए .

एक की सच्ची आराधना सभी को खुश कर देती है. ईश्वर एक ही है .अलग अलग रूपों में अवतार लेकर मानव का कल्याण किया है .जिसने जिस रूप में सच्चे मन से पुकारा भगवान ने उसी रूप में दर्शन दिया है. बस देखने की शक्ति हो आप में, भक्तो के प्रेम में वो शक्ति है. जो साक्षात ईश्वर के दर्शन कर लेता है.

हमें अपने जीवन में अपना कोई न कोई एक इष्ट बनाना चाहिए इसका बहुत ही अधिक महत्त्व है. इससे आपका जीवन सफल हो जाएगा और इस भव सागर से मुक्ति मिल जाएगी.

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