90 के दशक से समाज अब तक बहुत बदल चुका है जो विज्ञापन पहले रेडियो पर ही आते थे वो टीवी पर खुले आम आ रहे हैं. जहां पहले बच्चे कुछ नहीं समझते थे वहीं अब बच्चों को हर बात का ज्ञान है. आजकल हर कोई खुलकर बात करता है, बात करें कंडोम की तो इसके विज्ञापन भी काफी बदल चुके है अब तक. कहने का मतलब ये है कि कंडोम के विज्ञापन आज से नहीं बल्कि पहले से आ रहे हैं. आइये जानते हैं कंडोम के वो विज्ञापन अब तक कितना बदल चुके हैं.
दरअसल, कॉन्डम की बिक्री हिंदुस्तान में 1930 से शुरू हुई और उस ज़माने में इसके विज्ञापन अंग्रेज़ी में छपते थे. इन्हें ब्रिटिश में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि उस समय हिंदुस्तान में इसकी शुरुआत नहीं हुई थी. ये कह सकते हैं कि उस समय हिन्दुस्तानियों को इसकी जरूरत महसूस ही नहीं हुई. तो हम बता देते हैं पहला कंडोम का विज्ञापन कैसा था और क्या था उसमें.
ये पहला विज्ञापन पूजा बेदी और मार्क रॉबिन्सन का रहा जो एक कामसूत्र का विज्ञापन रहा. बात दें, ‘आस्क फॉर KS’ पहली बार कंडोम या निरोध पीछे छूट गया और ब्रांड आगे आ गया. इसके बाद कोहिनूर, ज़रूर और मैनफोर्स कंडोम भी आ गए. आप देख सकते हैं इस वीडियो को..
आज के ज़माने में आते आते कई तरह के बदलाव हुए और लोगों को कुछ एक्स्ट्रा चाहिए था. आपने वो विज्ञापन देखा ही होगा जिसमें चारपाई चरमराने लगी इसके बाद फ्लेवर और प्लेज़र की बाते होने लगीं.
वहीं बात करें आज की तो देश में कुछ ज्यादा ही बदलाव आ गए हैं जिसमें लड़कियां अब पुरुषों को सलाह देने की जगह अपनी फैंटेसी की बात करती हैं. इन विज्ञापनों में फैमिली प्लानिंग और HIV से बचने की बातें लगभग गायब हो चुकी हैं.
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