शुक्रवार को शंख का पूजन, बनाता है धन - धान्य से संपन्न
शुक्रवार को शंख का पूजन, बनाता है धन - धान्य से संपन्न
Share:

आधुनिक दौर में लोग धन पाने के तरह - तरह के उपाय करते रहते हैं। कहीं कोई काला बटुआ रखता है तो कोई समोसे - कचौड़ी ही खाने लगता है लेकिन यहां हम आपको एक बहुत ही सरल उपाय बताऐंगे। जिसे करने के लिए आपको अधिक परिश्रम नहीं करना होगी। दरअसल आपको जरुरत है दक्षिणावर्ती शंख जिसे लक्ष्मी स्वरूप ही माना गया है। इसे बिना सिद्ध किए घर में रखा जाए तो भी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। शुक्रवार के दिन शंख को साफ धोकर इसमें शुद्ध जल भरकर पूजन करने से समृद्धि प्राप्त होती है। शंख में भरा जल पीना और इसका जल छिड़कना बेहद अच्छा होता है। दरअसल शंख की उत्पत्ति के पीछे भी एक दिलचस्प कथा प्रचलित है।

शंख की उत्पत्ति के बारे में ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णन मिलता है कि शिव जी और शंखचूड़ नामक राक्षस के बीच युद्ध हुआ। भगवान विष्णु ने शिव जी को राक्षस का वध करने के लिए धनुष दिया। इस त्रिशुल के माध्यम से शिव जी ने इस राक्षस का संहार किया। जिसके बाद उसे भगवान ने समुद्र में डाल दिया। यह शंखचूड़ के रूप में उत्पन्न हुआ। इसे शंखचूड़ नामक शंख के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही बाद में छोटे, बड़े अलग - अलग आकार के शंख समुद्र से मिले। सामान्यतौर पर शंख दो प्रकार से प्रचलित होते हैं। दक्षिणावर्त और वामावर्त शंख। दक्षिणावर्त को दो प्रकार से जाना जाता है जिसे पुरूष और स्त्री शंख कहा जाता है। जिस शंख की मोटी परत होती है और जो भारी होता है उसे पुरूष शंख कहा जाता है। पतली परत वाली को स्त्री शंख कहा जाता है। भगवान विष्णु का शंख पांचजन्य माना जाता है

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -