Nov 02 2015 02:54 PM
अगर आप मन की एकाग्रता पर ध्यान देते है. तो आप हर मुस्किल से मुस्किल कार्य को कर पाते है.मन की एकागता से आप उन्नत अवस्था को प्राप्त कर सकते है, साधु -संत अपने मन की एकाग्रता व मन के सद भावों की वजह से अपने अंदर भगवान का दर्शन कर लेते है मन के भाव ही उन्हें महान बनाते है . आप यदि कितने भी जप तप कर लें पर यदि मन के भाव सही नहीं है तो सब कुछ व्यर्थ है. मन से ही आपके भावो की पुष्टि होती है की आपके विचार कैसे है.
यदि आपके भाव अच्छे है तो आप जीवन में प्रतिष्ठा व सम्मान की ओर जा रहे .यदि आपका मन साफ व निश्छल है. तो आपको परमात्मा मिल सकते है.क्योंकि कहा गया है कि भगवान केवल भावों के भूखे है, आपको मन और मुंह को एक करके भावों को जीवन में उतारना होगा। इसी को कहा जाता है की 'भाव के घर में किसी प्रकार की चोरी न होने पाए।'
आपको सब विषयों में व्यवहारिक बनना होगा। आपको चाहिए की आप बस अपने विचारों, मन के भावों को सही रखें किसी के द्वारा कहे गए गलत विचारों पर ध्यान न देकर अपने मन की एकाग्रता पर विशेष ध्यान दें
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