रायपुर : यह खबर उन गद्दार पुलिस वालों के लिए चेतावनी है कि गलत काम करने का अंजाम आखिर बुरा ही होता है.यह खबर इस मायने में और भी अहम है कि जिस एसपी के हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उसीके हाथ डकैती की घटना में लिप्त पाए गए. इसीलिए छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस राजकुमार देवांगन को भारत सरकार नेअनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी. दागी आईपीएस के खिलाफ देश की यह सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है.
उल्लेखनीय है कि राजकुमार देवांगन 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.पुलिस मुख्यालय ने उनके खिलाफ 15 वर्ष पूर्व हुई डकैती मामले की जांच शुरू की थी.जब देवांगन राज्य के जांजगीर जिले में एसपी के पद पर तैनात थे. तब उन्होंने वहां के एक शिक्षक के घर डकैती डलवा दी थी. एसपी के निर्देश पर तब तीन सिपाहियों ने उस शिक्षक के घर से 25 लाख रुपये लूटे थे. घटना के दौरान पुलिस कर्मियों को पीड़ित परिवार ने पहचान लिया था. इस मामले में बाराद्वार के थानेदार नरेंद्र शर्मा बाद में पकड़ा गया था. उसके घर से डकैती के रुपए बरामद हुए थे. शर्मा कई महीने जेल में रहा था. उस डकैती में एसपी की संलिप्तता सामने आई थी. राजकुमार के खिलाफ डीजीपी जेल गिरधारी नायक जांजगीर डकैती कांड की विभागीय जांच कर रहे थे.
बता दें कि इस आईपीएस अफसर का विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है. जब वो शांति सेना में शामिल होने बोस्निया गए थे. इस पोस्टिंग के दौरान भी वहां वे तय समय से अधिक समय तक रह गए थे. यही नहीं उन पर उस दौरान वहां उपलब्ध विभागीय टेलीफोन से वो पैसा लेकर इंटरनेशनल कॉल करवाने के गंभीर आरोप लगे थे. शिकायतों के कारण देवांगन की पदोन्नति वाला लिफाफा विभागीय जाँच के चलते नहीं खोला गया.उन्हें सेवानिवृत्ति का पत्र मिल चुका है. हालांकि अभी उन्होंने अपना प्रभार किसी और को नहीं सौपा है. बताया जा रहा है कि वो रिटायरमेंट के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे.