लखनऊ: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर का मामला एक तरफ कोर्ट में चल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ थाने भी पहुंच चुका है। अदालत में वादी पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले जितेंद्र सिंह बिसेन ने मस्जिद की निगरानी करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के खिलाफ चौक थाने में उपासनास्थल अधिनियम-1991 की धारा-3 के उल्लंघन के तहत शिकायत दी है। उन्होंने अधिनियम की धारा-6 के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग की है। धारा-3 में किसी भी ढांचे के मूल स्वरूप को दूसरे धार्मिक स्थल में बदलना दंडनीय अपराध माना गया है।
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख व शृंगार गौरी मामले में वादी राखी सिंह के चाचा जीतेंद्र सिंह बिसेन ने सात बिंदुओं पर शिकायती पत्र चौक थानाध्यक्ष के नाम से रजिस्ट्री की है। उन्होंने इसकी एक प्रति DCP काशी को भी पहुंचाई है। उन्होंने उपासनास्थल अधिनियम-1991 की धारा-3 का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर हटाने के लिए मुगल बादशाहों ने उसे तोड़ने का प्रयास किया था। बाद में बचे हिस्से पर पेंटिंग व चूना कर मंदिर की पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है।
यह मस्जिद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के प्रबंधन में है। लिहाजा, इनके विरुद्ध धारा-6 के तहत कार्रवाई की जाए। वहीं, थानाध्यक्ष आशीष मिश्रा ने जानकारी दी है कि उन्हें अभी शिकायती पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। मिलने के बाद जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वकील ने किया छेड़छाड़ का दावा :-
बता दें कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने मस्जिद परिसर में मौजूद सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मस्जिद परिसर में मौजूद चकरी को कुछ लोग लेकर जा रहे थे। उसे वे लोग फव्वारे का हिस्सा बता रहे थे। CRPF ने उन्हें पकड़ा और उस सामान को वापस स्टोर में रखवा दिया। उन्होंने कहा कि पूरे परिसर की कड़ी निगरानी की जानी चाहिए। मामला कोर्ट में है, इसलिए सबूतों को संभालना बेहद जरूरी है। उन्होंने शिवलिंग के साथ भी छेड़छाड़ की आशंका जाहिर की है।
इंडोनेशिया में 6.5 तीव्रता का भूकंप
UN में पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर राग, मुस्लिमों के नाम पर भी रोया... भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब
बेहद रंगीन है 'रंगीले राजस्थान' का वन्य जीवन, शेर की दहाड़ से लेकर कोयल की कूक तक.., सब कुछ है यहाँ