यूपी में काफी समय तक नागरिका कानून का विरोध हुआ था. लेकिन अब किसी भी मुद्दे पर आक्रोश की मशाल थामकर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को बिना कुछ सोचे-समझे स्वाहा करने वालों के हाथ अब कांपेंगे. कानून के जानकार मानते हैं कि उपद्रवियों से संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए स्पष्ट गाइडलाइन बेहद जरूरी है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने विरोध प्रदर्शनों व जुलूसों के साथ ऐसे अन्य आयोजनों के दौरान सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान की भरपाई के अध्यादेश को शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में रखा था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश, 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इसके प्रभाव को लेकर जोरदार चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं.
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इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को हुई क्षति के दृष्टिगत दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर क्षतिपूर्ति के लिए वसूली की विधिक कार्रवाई का आदेश दिया था. इस पर एडवोकेट प्रांशु अग्रवाल कहते हैं कि कुछ कानूनी अड़चनों के चलते उपद्रव के आरोपित से सीधे वसूली नहीं हो पाती थी. अब तक गैंगेस्टर एक्ट के तहत ही किसी आरोपित की संपत्ति के अटैचमेंट की कार्रवाई संभव थी. स्पष्ट कानून बनने पर उपद्रवियों से सीधे संपत्ति की वसूली की जा सकेगी.
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