आदिवासियों के 246 घर जलाने के मामले पर CM बघेल ने पेश की रिपोर्ट
आदिवासियों के 246 घर जलाने के मामले पर CM बघेल ने पेश की रिपोर्ट
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सुकमा: 2011 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली मुठभेड़ हुई थी, जिसपर न्यायिक जांच बैठाई गई थी. बुधवार को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने राज्य विधानसभा में, इस न्यायिक आयोग की रिपोर्ट पेश की, जिसमें पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई है. न्यायिक रिपोर्ट ने बताया कि 11 मार्च से 16 मार्च 2011 के मध्य, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के 3 गांवों में सुरक्षा बलों तथा नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ के चलते घरों में किसने आग लगाई, इसके कोई सबूत नहीं थे. 

वही इसके साथ ही, इस घटना के पश्चात् प्रदेश के दौरे पर निकले सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की गाड़ी पर कथित हमला प्रायोजित था, इसपर भी कोई सबूत नहीं प्राप्त हुए. आपको बता दें कि 2011 में, 11 से 16 मार्च के बीच, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के मोरपल्ली, तिम्मापुरम तथा ताड़मेटला गांवों में नक्सलियों तथा सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 246 घरों को जला दिया गया था. तत्पश्चात, स्वामी अग्निवेश ने दो बार दंतेवाड़ा जाने का प्रयास किया, किन्तु 26 मार्च 2011 को उनके वाहन पर दोरनापाल क्षेत्र में, कथित तूप से हमला कर दिया गया था. तब की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इन घटनाओं की तहकीकात के लिए, हाई कोर्ट के जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक विशेष न्यायिक आयोग का गठन किया था.

वही विशेष न्यायिक आयोग की 511 पन्नों की रिपोर्ट के अनुसार, 11 मार्च, 2011 को मोरपल्ली में नक्सलियों तथा पुलिस की एक टीम, CRPF तथा उसकी कोबरा यूनिट के बीच एक मुठभेड़ हुई. यह मामला उस समय का है जब सुरक्षा बल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ थे, जिन्हें मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की तहकीकात करनी थी. उसी दिन गांव के 31 घरों में आग लग गई थी. 13 एवं 14 मार्च, 2011 को तिम्मापुरम में एक और मुठभेड़ हुई, जिसमें ३ पुलिसकर्मी मारे गए तथा 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए. रिपोर्ट में बताया गया है कि जब घरों से गोलियां चलाई गईं तथा जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने ग्रेनेड फेंके, तो चार या पांच घर जल गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, अन्य 55 घरों में भी आग लग गई थी, किन्तु यह पता नहीं चल पाया कि आग के पीछे कौन जिम्मेदार था. 16 मार्च 2011 को ताड़मेटला में फिर मुठभेड़ हुई तथा उस दिन भी गांव के 160 घरों में आग लग गई.

इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है, 'तिम्मापुरम गांव में, कोने के 4-5 घरों जहां से फायरिंग की जा रही थी, वहां पुलिस की प्रतिक्रिया से आग लगी थी. पुलिस ने आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया दी जो गलत कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह सुरक्षा बलों का अधिकार था.' रिपोर्ट में बताया गया है कि मोरपल्ली में 31 घर, तिम्मापुरम में 55 घर तथा ताड़मेटला में 160 घरों को किसने जलाया, इसका कोई सबूत नहीं है. चूंकि कोई सबूत नहीं है, इसलिए किसी को भी घर जलाए जाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.'

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