दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट में एक दिव्यांग के द्वारा याचिका लगाई गई थी कि उसकी अपंगता के चलते सरकार ने उसको हज करने की इजाजत नहीं दी, जो नियमों के खिलाफ है. देश का संविधान भी मूलभूत अधिकारों को लेकर दिव्यांगों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करता लिहाजा हज करने जाने वाले विकलांग लोगों के साथ सरकार भेदभाव कैसे कर सकती है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हज कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. उसी के जवाब में अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ एक हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया गया है.
दिव्यांगों को हज यात्रा में शामिल नहीं करने की हज नीति को सही ठहराते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि इस तरह के लोग भीख मांगने में शामिल पाए गए हैं, जो कि सऊदी अरब में बैन है. हलफनामे में कहा गया है कि इस तरह के कई मामले मंत्रालय के सामने आए हैं. पवित्र कुरान में ऐसा नहीं कहा गया है कि हर किसी के लिए हज यात्रा जरूरी है, केवल शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम लोगों के लिए ही यह जिम्मेदारी मानी गई है.
हज के दौरान मीना स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रण करना बड़ी समस्या है. हज यात्रा के दौरान भगदड़ और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, ऐसी सूरत में सबसे ज्यादा नुकसान शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को ही झेलना होता है. गौरतलब है कि सरकार ने इसी साल हज़ पर दी जाने वाली सब्सिडी कोभी हटा लिया है.
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