पहले ही की होती क्लीन डेल्ही, ग्रीन डेल्ही पर बात
पहले ही की होती क्लीन डेल्ही, ग्रीन डेल्ही पर बात
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दिल्ली में प्रदूषण से सभी का हाल बेहाल हो रहा है। हालात ये हैं कि बच्चों को बाहर न निकलने की ताकीद की गई है सीएम केजरीवाल ने भी लोगों से जरूरी होने पर ही निकलने के लिए कहा है लेकिन अच्छा यह होता कि दिल्ली को दिल वालों की नगरी बनाने के प्रयास करने वाले नेता और जिम्मेदार पहले ही क्लीन डेल्ही ग्रीन डेल्ही का नारा दे देते। तो आज इस तरह लोगों को मास्क लगाकर घूमना नहीं पड़ता।

मानव के सामने पर्यावरण से खिलवाड़ करने के कई गंभीर नतीजे सामने आने लगे हैं। हाल ही में यह बात सामने आई थी कि नेपाल में एक ग्लेशियर पिघलने से एक झील में पानी बढ़ गया। जिसे खाली कर दिया गया। नेपाल ने झील खाली कर फौरी तौर पर तो राहत ले ली लेकिन इस तरह कितनी झीलों का पानी नेपाल उलीचेगा। हर वर्ष गंगोत्री ग्लेशियर का आकार बदलने की बात वैज्ञानिक पहले भी कर चुके हैं।

यह ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। यदि पर्यावरण को नहीं सहेजा गया तो ग्लेशियर्स के पिघलने से महाविनाश की बाढ़ धरती पर आ सकती है। मानव को कई तरह से विनाश के संकेत मिल रहे हैं इसके बाद भी मानव नहीं चेत रहा है। दिल्ली की ही तरह भारत के दूसरे शहरों का इस तरह का हाल न हो इसे लेकर जागृति जगाने की जरूरत है।

यदि ट्री कटिंग के स्थान पर ट्री रिप्लांलेसमेंट को अपनाया जाए तो पुराने और महत्वपूर्ण वृक्षों को संरक्षित रखा जा सकता है। अधिक से अधिक पौधे रोपने से हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं अमूमन पौधारोपण अभियान केवल दिखावे के आयोजन बनकर रह गए हैं मगर हमें इन्हें पर्यावरण सहेजने का एक पवित्र कार्य मानकर करना होगा और पौधों को विकसित कर सुव्यवस्थित पेड़ बनने तक उनका रखरखाव करना होगा। तभी हम पर्यावरण में बढ़ रहेे ग्रीन हाउस प्रभाव को कम कर पाऐंगे।

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