भोपाल गैस त्रासदी: हादसे के 32 साल बाद कलेक्टर, SP जांच के दायरे में
भोपाल गैस त्रासदी: हादसे के 32 साल बाद कलेक्टर, SP जांच के दायरे में
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भोपाल : भोपाल में वर्ष 1984 में हुए गैस त्रासदी हादसे को लेकर एक रोचक जानकारी सामने आई है। दरअसल इस मामले में यह बात सामने आई है कि भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी की मिलीभगत के चलते यूनियन कार्बाईड काॅर्पोरेशन के चेयरमैन वाॅरेन एंडरसन भागने में सफल हुए थे। दोनों अधिकारियों पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में सीजेएम भूभास्कर यादव के सामने सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान सीजेएम ने तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं। दोनों ही अधिकारियों को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है। अब इस मामले की सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। इन दोनों अधिकारियों पर सेक्शन 212, 217, 221 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर दिया गया है। गौरतलब है कि गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार और अभिभाषक शाहनवाज खान ने 20 जून 2010 को प्रकरण दायर करवाया था।

गौरतलब है कि वर्ष 1984 में यूनियन कार्बाईड के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। यह गैस इस तरह से फैली थी कि इसने पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया था। बड़े पैमाने पर बच्चे और अन्य लोग गैस के दूषित परिणाम से प्रभावित हुए थे और कई लोग तो मारे गए थे।

इस मामले में सीजेएम के सामने जो सुनवाई हुई उसमें यह बात सामने आई कि वाॅरेन एंडरसन को पुलिस ने पकड़ लिया था मगर उसे विशेष विमान से भगा दिया गया। हालांकि उसे न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद ही छोड़ा जाना था मगर जब इस तरह का गैर जिम्मेदाराना काम किया गया तो अब तत्कालीन कलेक्टर और एसपी पर कार्रवाई की गई है।

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