सिविल इंजीनियरिंग बना गया छात्र-छात्राओं की जरूरत की किताबें देने के लिए रद्दीवाला
सिविल इंजीनियरिंग बना गया छात्र-छात्राओं की जरूरत की किताबें देने के लिए रद्दीवाला
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रायपुर। आप ने भारत में कई तरह के समाज के सेवक देखे  होंगे  जो समाज के लिए अपना जीवन तक  कुर्बान कर देते है और आज भी भारत में  समाज सेवको की कमी नही है   चलिए आज हम आपको ऐसे सामज से  अवगत करते है जिसकी समाज सेवा देखकर  आप भी सोचने पर  मजबूर हो जायेगे दरसल हम बात कर रहे है.

 रायपुर की दावड़ा कॉलोनी के  प्रशांत महतो नामक सख्स जो एक कंपनी में प्रोजेक्ट इंजीनियर है। फिर भी प्रशांत अपना बचा हुआ समय  समाज सेवा में लगा रहा है। दरसल प्रशांत गरीब छात्र-छात्राओं को जरूरत की किताबें देने के लिए खुद रद्दीवाला बनकर घूम-घूमकर नि:शुल्क किताबें बांट रहा है।

वह बुक स्टॉल, रद्दी की दुकान, पढ़ने वाले विद्यार्थियों से उनकी पढ़ी हुई किताबें लेकर बांट रहा है। स्कूल, कॉलेज के बच्चों को विषय से संबंधित किताबों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए भी किताबें दी जा रही हैं। महतो कहते हैं-देश में आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने बच्चे के लिए महंगी किताबें नहीं खरीद सकते हैं। यह उनकी एक छोटी-सी पहल है।

खोल ली संस्था, ताकि करें लोग संपर्क 

प्रशांत महतो ने जब देखा कि कई युवा ऐसे हैं, जिन्हें जरूरत की किताबें नहीं मिल रही हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में वे उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो उन्होंने चरामेति नाम की संस्था बना ली। सोशल साइट्स पर प्रचार- प्रसार के बाद आज उनके पास 250 से ज्यादा कार्यकर्ता हो गए, जो उनसे प्रेरित होकर घर-घर रद्दीवाला बनकर किताबें जमा करते हैं।

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