नहीं रही हाथों की मोहताज, पैरों से लिख डाली 4 किताबें
नहीं रही हाथों की मोहताज, पैरों से लिख डाली 4 किताबें
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बीजिंग: प्रतिभा किसी निपुणता की मोहताज नहीं होती। इस बात को अपनी प्रतिभा से सच किया है चीन की 25 वर्षीय सन लुकांग ने, जिन्होने अपने पैरो से ही 4 किताबें लिख डाली। दरअसल सन का जन्म वक्त से पहले ही हो गया था और उन्हें सेरेब्रल प्लासी की बीमारी भी है। इसी कारण वो अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है।

लेकिन इन्होने हार नहीं मानी और महज 7 साल की उम्र मे ही पैरों से चीनी भाषा में लिखने का प्रयास करने लगी। साल 2002 में उनके परिजनों ने उन्हें एख कंप्यूटर खरीद कर दिया। इसके बाद उन्होने पैरों से टाइपिंग करना भी सीखा। शुरुआत में पैरों के अंगूठे से लिखने में उन्हें काफी दिक्कतें होती थी।

सन बताती है, हमेशा ही अंगूठे से पेन फिसल जाता था। मगर, मैंने हार नहीं मानी और इसे अच्छी तरह से करने की कोशिश करती रही। मैं तब तक प्रैक्‍टिस करती रही, जब तक फफोले नहीं पड़ गए। तीन महीनों की प्रैक्‍टिस के बाद मैं इसे करने लगी थी।

बीते 10 सालों में सन की 4 किताबें पब्लिश हो चुकी है। उन्होने 20 लाख से अधिक शब्दों में कई निबंध व कविताएं लिखी है। सन की किताबें स्थानीय दुकानों पर बिकती है।

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