बीजिंग : बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को चीनी अधिकारियों के साथ मुलाकात के बाद कहा कि यदि भारत दोबारा से अर्जी दे, तो चीन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगा सकता है यानि संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधों को लेकर भारत और चीन के बीच गतिरोध को समाप्त कर सकता है।
लेकिन शर्त यह है कि पाकिस्तान को सेंसर करने की कोशिश करने के बजाय भारत उसके खिलाफ साक्ष्य पर ध्यान दिलाते हुए फिर से अपनी अर्जी सौंपे। उन्होने कहा कि मेरा मानना है कि भारत मसूद के मामले में चीन से सहयोग की उम्मीद कर सकता है। स्वामी तिब्बत में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए हुए थे।
उन्होने कहा कि वो पुराने मित्र होने के नाते व्यक्तिगत क्षमता पर चीन की यात्रा कर रहे है, लेकिन इसकी जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी व अन्य कैबिनेट मंत्रियों को है। आगे स्वामी ने कहा कि एक तरकीबी कदम के तहत यूएन में शिकायत फिर से करना दूरदर्शिता भरा होगा जो चीन के तकनीकी रोक के बाद बाधित हो गया है।
स्वामी ने चीनी पीपुल्स पॉलीटिकल कंसल्टेटिव कमेटी की विदेश मामलों की समिति के निदेशक वांग जी क्विंग से मुलाकात के बाद कहा कि यहां मुझे जो कुछ पता चला, उसके आधार पर मैं बहुत आश्चर्यचकित हो सकता हूं कि यदि चीन इसे ठोस साक्ष्य तक सीमित किए जाने के बाद बाधा डालेगा। बीजेपी नेता ने कहा कि भारत ने यूएन में जो अर्जी दी थी वो मसूद से ज्यादा पाकिस्तान पर केंद्रित थी।
चीन ने मुंबई हमलों के सरगना और लश्कर ए तैयबा कमांडर जकी उर रहमान लखवी पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिशों को बाधित किया था। उसने पठानकोट हमले में भूमिका को लेकर अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की कवायद को भी रुकवा दिया। यह मुद्दा हाल ही में संपन्न हुई राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा में भी उठा था।
स्वामी ने सुझाव देते हुए कहा कि भारत सीमा पार से होने वाले आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए चीन और पाकिस्तान के साथ बैठकर त्रिपक्षीय वार्ता कर सकता है। पाकिस्तान के साथ वार्ता के लिए मोदी कड़ी मेहनत कर रहे है। लेकिन समस्या यह है कि हम पाकिस्तान में सिर्फ संवैधानिक प्राधिकार से बात कर सकते हैं जो कि प्रधानमंत्री हैं, जिनके पास अंतिम निर्णय का अधिकार नजर नहीं आता।