चीन भारत की NSG सदस्यता के आड़े नहीं आ रहा हैः सुषमा स्वराज
चीन भारत की NSG सदस्यता के आड़े नहीं आ रहा हैः सुषमा स्वराज
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नई दिल्ली : तमाम अटकलों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ किया कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में एंट्री को लेकर चीन भारत की राह में बाधा नहीं डाल रहा है। हांला कि उन्होने साफ किया कि चीन प्रक्रिया की बात कर रहा है, न कि एंट्री का विरोध कर रहा है।

पाकिस्तान की सदस्यता पर बोलते हुए सुषमा ने कहा कि फिलहाल भारत एनएसजी का सदस्या नहीं हैंतो वो कैसे किसी देश की एंट्री का विरोध कर सकता है। उन्होने कहा कि एंट्री सबको उसकी योग्यता के अनुसार मिलना चाहिए। सुषमा मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धताओं के बारे में बताने के लिए आयोजित की गई प्रेस कांफ्रेंस में बोल रही थी।

हाल ही में इस मामले को लेकर विदेश मामलों के सलाहकार एस जयशंकर ने पेइचिंग का दौरा किया था। सुषमा ने उम्मीद जताई कि इस साल के अंत तक भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल जाएगी। दक्षिणी चीन सागर पर चल रहे विवादों पर विदेश मंत्री ने कहा कि हम इस परेशानी का शांतिपूर्ण हल चाहते है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर चल रही तैयारियों पर उन्होने कहा कि केवल लीबिया और यमन में यह कार्यक्रम नहीं हो रहा, इसके अलावा शेष 191 देशों में योद दिवस मनाया जा रहा है। कैबिनेट में होने वाले विस्तार के बारे में सुषमा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का अधिकार है, इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करुंगी।

भारत से भगोड़े घोषित हो चुके विजय माल्या के लंदन में बुक लांचिंग के दौरान एक कार्यक्रम में पहुंचने के मामले में सुषमा ने कहा कि उच्चायुक्त को इस बारे में कुछ भई ज्ञात नहीं था, क्यों कि वहां दो कार्यक्रम हो रहे थे। एक बुक लांच का औऱ दूसरा हाई कमीशन की ओर से लंच का। जब उनको पता चला तो वो कार्यक्रम छोड़कर चले गए।

अमेरिका के साथ बनते अच्छे संबंधों के बारे में स्वराज ने कहा कि हमारे रिश्ते बेहतर हुए है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि हमने पुराने दोस्तों को भुला दिया है। रुस और चीन के साथ भी हमारी वैसी ही दोस्ती है। अमेरिका जब भारत के खिलाफ होता है, तो भारत भी अमेरिका के खिलाफ हो जाता है।

पठानकोट अटैक पर सुषमा ने कहा कि हमें पाकिस्तान की ओर से अब भी ठोस कार्रवाई का इंतजार है। उन्होने बताया कि पाक के साथ संबंधों को लेकर भारत की तीन सूत्री रणनीति है। पहला हर मसला वार्ता हल हो। दूसरा हर वार्ता दो पक्षकार के बीच हो। तीसरा आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती।

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