नई दिल्ली। भारत में वेदों, पुराणों की बात होती है। सदियों पुरानी बात की जाती है। भारत का महिमा मंडन होता है। कहा जाता है हम ऐसे थे वैसे थे। हम पर्यावरण प्रेमी थे लेकिन अब तो भारत के दिल्ली शहर की हालत बेहद खराब है। प्रदूषण को कम करने पर भी कथिततौर पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक साथ मिलकर काम करने को तैयार नहीं है। अब प्रदूषण बढ़ने पर कहा जा रहा है कि भारत सीखना चाहे तो चीन से कुछ सीख सकता है। चीन ने प्रदूषण की मार झेलने वाले बीजिंग के हालात सुधारने के लिए जो कुछ किया वह भारत द्वारा किए जाने लायक नज़र आता है।
जी हां, कुछ विशेषज्ञ यही बातें कह रहे हैं। दरअसल चीन में कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारक कोयले का उपयोग है। वर्ष 2017 तक कोयले के उपयोग में 70 प्रतिशत तक कटौती करने का उद्देश्य है। चीन द्वारा कोल आधारित इंडस्ट्रीज़ बंद की जा रही हैं। चीन में आॅनलाईन तरीके से एयर लेवल और क्वालिटी की रैंकिंग की जाती है।
सरकार इस मसले पर गंभीर रहती है। चीन ने पुरानी गाड़ियों को सड़कों से अलविदा कर दिया है। इस तरह के कड़े कदम भारत उठाए तो प्रदूषण की समस्या हल हो सकती है।