खरगोन: जिस तरह नागपुर के संतरे, कोटा का स्टोन एवं आंध्रप्रदेश के गुंटुर की गुंटुर मिर्च की तरह ही, खरगोन की मिर्च निमाड़ी ब्रांड के नाम से जानी जाए. यह कवायद लगाई जा रही है. वहीं, कसरावद में 29 फरवरी से शुरू हो रहे दो दिनी मिर्च महोत्सव में क्षेत्र की मिर्च को निमाड़ी ब्रांड की पहचान मिलेगी. आने वाले शनिवार-रविवार को नामकरण तय हो जाएगा.
इस महोत्सव पर विशेषज्ञों व वरिष्ठ विभागीय अफसरों ने जानकारी दी है कि देश-विदेश में स्थानीय पहचान के उत्पाद तेजी से पहचान बना लेते हैं. इसलिए निमाड़ी मिर्च को भी उसके क्षेत्र के नाम से ही पहचान दिलाई जाना अधिक बेहतर होगा. वहीं, संयुक्त संचालक कृषि इंदौर आरएस सिसौदिया ने भी कहा कि क्षेत्र के नाम से उत्पाद को जल्दी पहचान मिलती है. उद्यानिकी उपसंचालक केके गिरवाल ने बताया कि मिर्च महोत्सव में फसल की ब्रांडिंग भी प्राथमिकता में सम्मलित है. मिर्ची के साथ तकनीकी व बाजार संबंधी जानकारी भी मिलेगी. दरअसल मिर्च को निमाड़ी ब्रांड देना जनप्रतिनिधि व वरिष्ठ कृषि अफसर ही तय करेंगे. निमाड़ क्षेत्र में मिर्च उत्पादक बहुल खरगोन, धार, खंडवा, बड़वानी व आलीराजपुर आते हैं. यहाँ की मिर्च पूरे देश में प्रसिद्ध है. जिसके चलते वे कयास लगा रहे है कि निमाड़ को भी मिर्च के लिए प्रसिद्धि प्राप्त हो.
आपको बता दे कि प्रदेश में मिर्च का कुल रकबा 87743 हैक्टेयर है जिसमें से 65.57 प्रतिशत हिस्सा निमाड़ क्षेत्र का मौजूद है. इसी प्रकार प्रदेश के कुल मिर्च उत्पादन 2 लाख 18 हजार 307 मैट्रिक टन उत्पादन का 54.35 प्रतिशत उत्पादन यहां होता है. पूरे प्रदेश में अकेले खरगोन की मिर्च रकबा व उत्पादन भागीदारी 29-29 फीसदी है. वहीं, धार दूसरे नंबर पर आता है.
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