बचपन से लेकर आज तक हमारे साथ ही बड़ी होती गई ये चीज़े
बचपन से लेकर आज तक हमारे साथ ही बड़ी होती गई ये चीज़े
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बचपन एक ऐसा समय होता है जो हर इंसान की जिंदगी का सबसे सुनहरा और सबसे खास पल होता है. एक बार बचपन निकल जाने के बाद तो हर व्यक्ति बस ये ही चाहता है कि काश!! उसके बचपन के दिन एक बार फिर आ जाए. ना कोई टेंशन ना सिर पर बोझ... बस बिंदास खाओ-पियो और खेलो कूदो. वैसे ये तो हर कोई जानता हैं कि एक बार बीत जाने के बाद बचपन के दिन तो चाहकर भी अब वापिस नहीं आ सकते हैं लेकिन हम हमारे बचपन की यादों के जरिए एक बार फिर उन दिनों में खो सकते हैं. बचपन से लेकर आज तक हम इतने बड़े हो गए और इस बीच हमारी लाइफ में कई चीज़े आई और गई हैं लेकिन कुछ चीज़े ऐसी हैं जो बचपन से लेकर आज तक हमारे साथ ही हैं और ये चीज़े भी समय के साथ-साथ हमारे जैसे ही बदलती गई हैं.

मैगी- मैगी का नाम सुनते ही यक़ीनन आपके मुंह में भी पानी तो जरूर आ ही गया होगा. भाई मैगी ऐसी चीज है जो हर किसी को अपने टेस्ट का दीवाना बना देती है. बचपन से लेकर आज तक मैगी हमारे साथ ही है. सिर्फ मैगी की पैकिंग में हमारी तरह समय-समय पर बदलाव आए हैं लेकिन उसका टेस्ट तो अब भी वैसा ही है जैसा बचपन के दिनों में था. सबसे अच्छी बात तो ये है कि मैगी बचपन में भी 2 मिनट में बन जाती थी और आज भी ये 2 मिनट में ही बनती है.

बोर्नविटा- आपकी मम्मी ने भी बचपन के दिनों में आपको आपको दूध पिलाने की जिद तो जरूर की ही होगी लेकिन एक बोर्नविटा ही था जिसने दूध का टेस्ट बदलकर उसे पीने लायक बनाया था. बोर्नविटा के बिना तो दूध गले से उतरना भी पॉसिबल नहीं था. आज भी जब हमें दूध पीना होता है तो दिमाग में सबसे पहले बोर्नविटा का ही नाम आता है और इसके बिना तो दूध का कोई मजा ही नहीं है. बोर्नविटा ने भी बचपन से लेकर आज तक हमारा साथ दिया है और वो भी हमारे साथ-साथ ही बड़ा भी हुआ है.

कुरकुरे- क्रंची, क्रिस्पी और टेस्टी कुरकुरे का नाम सुनते ही हमारा मूड मसालेदार हो जाता है. कुरकुरे तो हम सभी की भूख का साथी हैं. घर में जब भी मम्मी ने मनपसंद खाना नहीं बनाया होता है तब कुरकुरे ही पेट भरने में हमारा साथ देते हैं. कुरकुरे तो हमारे टाइम पास करने का भी सबसे अच्छा साथ है. ये इतना अच्छा दोस्त है कि आज तक हमारा साथ नहीं छोड़ा और हमारे साथ ही बड़ा भी होता गया. ]डेरी मिल्क- भैया जब भी ख़ुशी का मौका होता है तो उस पल में डेरी मिल्क भी हमारे साथ जरूर रहती ही है और ख़ुशी का पल ना भी हो तो भी डेरी मिल्क को तो हम हमारे पास ही रखते है. वैसे भी जब तक डेरी मिल्क हमारे साथ होगी कुछ मीठा खाने का ढूंढने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

च्यवनप्राश- ये एक मात्रा ऐसी चीज़ है जिसे खिलाने के लिए मम्मी हमारे पीछे ही पड़ी रहती थीं. खासकर जब बात की जाए ठण्ड के दिनों की तो च्यवनप्राश ही हमको ठण्ड से बचने में मदद करता था. हमारे साथ-साथ च्यवनप्राश भी आज इतना बड़ा हो गया. जिस तरह हमारे व्यव्हार में और रहन-सहन में बदलाव आया है ठीक उसी तरह से च्यवनप्राश में भी कई बदलाव आए हैं. च्यवनप्राश में अब तक तो सोना-चांदी के ही मिले होने की बात कही जाती थी लेकिन भैया अब तो चुम्मे में भी च्यवनप्राश मिलने लग गया है. तो इन सब चीज़ो के बारे में पढ़कर शायद आप भी कही न कही अपने बचपन की यादों में तो जरूर खो ही गए होंगे और वर्क लोड से भरी इस स्टेज पर उन दिनों को याद कर आपके भी चेहरे पर प्यारी-सी स्माइल तो जरूर आ ही गई होगी.

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