काम में बीत रहा बचपन, नियमों को ताक पर रख दे रहे बालश्रम को बढ़ावा
काम में बीत रहा बचपन, नियमों को ताक पर रख दे रहे बालश्रम को बढ़ावा
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कोमल हाथों से मिट्टी उठाकर तरह - तरह के आकार गढ़ना और इन आकारों से जीवन के अर्थ सीखना यह खेल अक्सर बच्चे खेलते - खेलते बड़े हो जाते हैं लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो बचपन से ही परिवार का पेट पालने में लग जाते हैं। इन बच्चों के हाथों से खिलौने, मिट्टी और नोट बुक सब छूट जाती है। जी हां, यूं तो बालश्रम को लेकर देश में कानून बेहद कड़े किए गए हैं, मगर इसके बाद भी कई क्षेत्रों में बालश्रम वैसा ही जारी है। कई बच्चे अध्ययन करने की उम्र में होटलों में काम करने पर मजबूर हैं। हालांकि हाल ही में बालश्रम को लेकर कुछ ऐसे नियम जारी किए गए जिसमें निर्देश जारी किए गए थे कि बालश्रमिकों को अपने परिवार के ऐसे उद्यम जिनसे उनका मानसिक और शारीरीक शोषण न हो में काम करने की छूट होगी।

ऐसे क्षेत्र मनोरंजन, फिल्म,एडवरटाइजिंग आदि हो सकते हैं। बाल श्रम को लेकर अब काफी जागरूकता नज़र आ रही है। इस दौरान प्रतिवर्ष विश्व बालश्रम दिवस 12 जून को मनाए जाने की कवायदें की जाती हैं। इस दौरान कहा जाता है कि बालश्रम मानवता के विरूद्ध एक अपराध है। इस तरह से यह बाल अधिकारों का उल्लंघन है। मामले में यह भी कहा गया है कि बच्चों को उनके शिक्षा के अधिकार और शारीरीक भावनात्मक और मानसिक विकास से वंचित कर बालश्रम में घसीटा जाता है। वर्ष 2011-2012 में राज्य में कामकाजी बच्चों की तादाद करीब 2.2 लाख मानी गई है। यही नहीं एएचएस के तहत झारखंड में बालश्रम का सबसे अधिक प्रतिशत पाकुड़ में सामने आया है। दरअसल यहां कई तरह की औद्योगिक इकाईयों में बालश्रमिकों को काम में लिया जाता है।

यही नहीं गोड्डा, साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम और पलामू में यह स्थित है। इस दौरान बालश्रम का प्रतिशत भी काफी है जहां बोकारो में 1.2 प्रतिशत बालश्रमिक कार्यरत हैं वहीं धनबाद में 1.3 प्रतिशत बालश्रमिक सामने आए हैं। पूर्वी सिंहभूम में 1.6 प्रतिशत, हजारीबाग में 1.7 प्रतिशत और रांची में 1.9 प्रतिशत बालश्रमिक सामने आए हैं। यदि कहीं भी बालश्रमिक कार्य करते हुए पाए जाते हैं तो दोषी को लगभग 3 माह से 3 वर्ष तक की जेल की सजा हो सकती है दूसरी ओर 10000 रूपए से 20000 रूपए तक का जुर्माना हो सकता है। राज्य सरकार द्वारा बालश्रम को लेकर करीब 8 जिलों में राष्ट्रीय बालश्रम परियोजना लागू की गई है दूसरी ओर बाल श्रमिकों को लेकर हर कहीं जनजागरूकता अभियान चलाया जाता है। झारखंड सरकार द्वारा बालश्रम के उन्मूलन के लिए हितधारकों के साथ योजना की रूपरेखा तैयार की जाती है।

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