सीएम के जनता दरबार में न्याय मांगने आई महिला शिक्षिका सस्पेंड
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फिल्मो की तर्ज पर जनता दरबार का चलन है आज कल देश में . ऐसे में उत्तराखंड सरकार का जनता दरबार हमेशा से ही विवादों में बना रहता है. इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक महिला शिक्षिका ने बवाल मचा दिया. उत्तरा पंत 20 वर्षों से उत्तरकाशी के एक प्राइमरी स्कूल में नौकरी कर रही है और लंबे समय से अपने ट्रांसफर न किये जाने से नाराज है. महिला ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भरे दरबार इसे लेकर जलील कर दिया.शिक्षिका का कहना था कि मैं विधवा हु और बच्चे देहरादून में हैं कोई सुनने वाला नहीं है.

इस पर सीएम रावत ने महिला शिक्षिका से शांत होने को कहा. उन्होंने कहा कि शांत हो जाओ, वरना तुम्हारी नौकरी चली जाएगी.फिर भी शिक्षिका शांत नहीं हुई, तो महिला पुलिस कर्मियों ने उसे खींचते हुए जनता दरबार से बाहर ले जाना उचित समझा . बाहर जाते-जाते भी महिला ने कहा कि सीएम रावत नेता हैं, कोई भगवान नहीं और प्रदेशवासियों को लूटकर खा रहे हैं. ये चोर मुख्यमंत्री हैं.


जब फरियादी शिक्षिका द्वारा सीएम रावत के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया गया, तो वो भड़क गए और अपने पद की गरिमा के विपरीत महिला को भरे दरबार में सस्पेंड करने के आदेश दे दिए. उन्होंने महिला शिक्षिका को हिरासत में लेने का भी आदेश दिया.

 

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