छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र के मनमाने अधिकार को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र के मनमाने अधिकार को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार का शासन है. कांग्रेस की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में विकास के अलावा कई नियमों को बदलने का काम कर रही है. छत्तीसगढ़ सरकार NIA Act को लेकर चर्चा में बनी हुई है. बता दे कि साल 2008 के एनआईए अधिनियम NIA Act को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है कि एनआईए कानून राज्य से जांच का अधिकार छीन लेता है और केंद्र को मनमाना अधिकार उपलब्‍ध करता है. सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कानून NIA Act 2008 राज्य की संप्रभुता वाले विचार के खिलाफ है, जैसा कि संविधान में वर्णित है.

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इस मामले को लेकर छत्‍तीसगढ़ सरकार ने अदालत में कहा है कि इस कानून NIA Act 2008 से राज्य पुलिस को जांच करने का मिला संवैधानिक अधिकार प्रभावित होता है. वैसे यहां यह बता देना जरूरी है कि साल 2008 में जब NIA कानून बना तब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार थी. उस समय कानून बनाते वक्‍त 26/11 हमले को आधार बनाया गया था. अब आज इस कानून को चुनौती देने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की ही सरकार है. 

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एक अन्य मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 1984 सिख दंगा मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर पूर्व जज ढींगरा कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और उसी के मुताबिक एक्शन लेगी. केन्द्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की जांच करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं और वह कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ को याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस सूरी ने सूचित किया कि विशेष जांच दल की रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की भूमिका की निन्दा की है. उन्होंने कहा कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित रूप में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये एक आवेदन दायर करेंगे.

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