रामायण और महाभारत के अनुसार जानिए छठ पूजा का महत्व
रामायण और महाभारत के अनुसार जानिए छठ पूजा का महत्व
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आप सभी को बता दें कि सूर्य भगवान की उपासना का सबसे बड़ा त्यौहार छठ पूजा है और यह 10 नवंबर से शुरू हो गया है. ऐसे में चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा महोत्सव नहाय खाय के साथ शुरू होता है और छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है. कहते हैं प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाने के लिए बेताब रहते हैं तो अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस पर्व के दो ख़ास महत्व जो एक रामायण के अनुसार है तो दूसरा महाभारत के अनुसार. आइए जानते हैं.


रामायण के अनुसार - कहा जाता है रामायण के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्य देव की पूजा कर उनकी आरधना कर उन्हें नमन किया था वहीं  सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर उन्होंने सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त कर लिया था.


महाभारत के अनुसार - कहते हैं कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी और सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की थी. वहीं कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और कहा जाता है कि वह प्रतिदिन घण्टों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे इसी के साथ वह इसी कारण से सूर्यदेव की कृपा पा सके थे और महान योद्धा बने थे. कहा जाता है अर्थात मान्यता है कि आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है और वहीं मानी जाने वाली कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रौपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख भी किया गया है. 

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