चेन्नई के इंजीनियर ने दिखाई अपनी योग्यता, तीन महीने में खोज लिए था विक्रम लैंडर
चेन्नई के इंजीनियर ने दिखाई अपनी योग्यता, तीन महीने में खोज लिए था विक्रम लैंडर
Share:

भारत के महत्वकांशी प्रोजेक्ट चंद्रयान 2 की लांचिंग के करीब तीन महीने बाद विक्रम लैंडर का मलबा नजर आ गया है. इससे ढूंढने में सबसे बड़ी भूमिका चेन्नई के एक इंजीनियर ने निभाई है. शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ निकाला. बता दें कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद से विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया था. शनमुग सुब्रमण्यम एक मैकेनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं जो लेनोक्स इंडिया टेक्नोलॉजी सेंटर चेन्नई में काम करते हैं. मदुरई के रहने वाले शनमुग इससे पहले कॉग्निजेंट में प्रोग्राम एनालिस्ट के तौर पर भी काम कर चुके हैं.

प्रियंका वाड्रा का ट्वीट, कहा- रेलवे को भी बेचना शुरू कर देगी भाजपा सरकार, क्योंकि इनकी स्किल....

अपने बयान में उन्होंने नासा के मून लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) द्वारा 17 सितंबर, 14,15 अक्तूबर और 11 नवंबर को ली गई तस्वीरों का हफ्तों तक अध्ययन किया और मलबे की पहचान कर ली. मलबे की पहचान करने के बाद  शनमुग ने अपनी खोज के बारे में नासा को लिखा था. इसके बाद नासा ने इसके अध्ययन में कुछ वक्त लगाया और उनकी खोज की पुष्टि की. नासा के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट (एलआरओ मिशन) जॉन केलर ने  शनमुग को लिखा- धन्यवाद कि आपने हमें विक्रम लैंडर के मलबे की खोज के बारे में ईमेल किया. हमारी टीम इस बात की पुष्टि करती है कि लैंडिंग के स्थान की पहले और बाद की तस्वीरों में अंतर है. जानकारी मिलने के बाद टीम ने उस इलाके की और छानबीन की और इसके आधार पर घोषणा की जाती है कि नासा और एएसयू पेज में आपको इस खोज के लिए श्रेय दिया जाता है.

फडणवीस सरकार ने गुजरात की कंपनी को दिया था करोड़ों का ठेका, सीएम बनते ही उद्धव ने किया रद्द

नासा ने अक्टूबर में बयान जारी करके बताया था कि उन्हें ऑर्बिटर से मिले ताजा फोटो में चंद्रयान-2 के लैंडर का पता नहीं चला है. नासा ने कहा था कि हो सकता है जिस समय हमारे ऑर्बिटर ने तस्वीर ली उस समय लैंडर किसी छाया में छिप गया हो. नासा के एक परियोजना वैज्ञानिक ने बताया था कि हमारे ऑर्बिटर ने 14 अक्तूबर को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडिंग साइट की फोटो ली थी लेकिन वहां हमें ऐसी कोई तस्वीर नहीं मिली जिसमें विक्रम लैंडर को देखा जा सके. बता दें कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर ने सॉफ्ट की बजाए हार्ड लैंडिंग की थी जिसके कारण उसका इसरो से संपर्क टूट गया था.

संजय सिंह ने केंद्र पर लगाया गंभीर आरोप, कहा- 32000 टन प्याज सड़ गई लेकिन कम कीमत...

'पीएम मोदी के उद्योगपति मित्रों को दी जा रही है आदिवासियों से छीनी गई जमीन'

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की 135वीं जयंती आज, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -