सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,  73 साल पूर्व विलुप्त हुए चीते को मिली मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 73 साल पूर्व विलुप्त हुए चीते को मिली मंजूरी
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नई दिल्ली: यह बात तो तय हो चुकी है कि  73 साल पहले भारत की धरती से विलुप्त हो चुका चीता अब फिर से रफ्तार भरता दिखने वाला है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में भारत में अफ्रीका से चीता को लाकर बसाने की अनुमति दे दी है.

1947 में आखिरी तीन चीतों के शिकार के बाद भारत से विलुप्त हो चुका है चीता: वहीं इस बात कली जानकारी मिली है कि हालांकि कोर्ट ने पहले उनके लिए उपयुक्त ठिकाने की तलाश करने को कहा है. जंहा इसके लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है, जो हर चार महीने में इससे जुड़ी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट को देगी. विशेषज्ञों के मुताबिक देश में चीता को अंतिम बार 1947 में देखा गया था, जब सरगुजा महराज ने देश में बाकी बचे तीन चीतों को एक शिकार में मार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने दी अफ्रीकी चीतों को बसाने की अनुमति: वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों को बसाने की यह अनुमति राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. जिसमें अफ्रीकी देश नामिबिया से चीतों को लाने को लेकर अनुमति मांगी गई थी. हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर में एशियाई शेरों की जगह चीता को बसाने के एक प्रस्ताव को खारिज भी कर चुका था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय पीठ के इस ताजा आदेश से चीता का लाने की उम्मीद फिर जगी है.

चीतों का कहां रखा जाएगा, जगह का नहीं हुआ सही निर्धारण: वहीं तीन सदस्यीय कमेटी में भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, वर्तमान महानिदेशक धनंजय मोहन और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में वन्यजीव के डीआईजी को शामिल किया है. यह तो तय नहीं है कि चीतों का कहां रखा जाएगा, लेकिन अधिकारियों के अनुसार कई अनुकूल क्षेत्र हैं. इनमें मध्य प्रदेश का कूनो-पालपुर भी है. जहां काफी पहले चीता मिलने के प्रमाण मिलते है.

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