चतुर्थी का व्रत है शुभ फलदायी
चतुर्थी का व्रत है शुभ फलदायी
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भगवान श्री गणेश जिन्हें प्रसन्न करने के लिए बुधवार का दिन बेहद श्रेष्ठ माना जाता है दरअसल भगवान श्री गणेश बुद्धि के दाता माने गए हैं। प्रथम पूज्य श्री गणेश को प्रसन्न करने से श्रद्धालुओं के काम बन जाते हैं और वे कुशाग्र बुद्धि के हो जाते हैं। मगर भगवान की आराधना का एक माध्यम और है जिसे चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यूं तो भगवान श्री गणेश की कई चतुर्थियां पूजनीय होती हैं जिनमें तिल कुंद चतुर्थी, माघी चतुर्थी जो कि माघ मास में आती है। विनायकी चतुर्थी, संकष्ट चतुर्थी आदि आती है। प्रमुख होती है।

भगवान इन सभी चतुर्थियों में से कोई भी चतुर्थी करने वाले या सभी चतुर्थी कर भगवान की आराधना करने वालों को प्रसन्न होकर मनोकामना का वरदान देते हैं। चतुर्थी व्रत करने से श्रद्धालुओं की सारी विपत्तियां दूर होती हैं। यदि संकष्टि चतुर्थी का व्रत किया जाए तो सभी परेशानियां और संकट समाप्त हो जाते हैं। चतुर्थी का व्रत करने के लिए सुबह के समय स्नान से निवृत्त होकर साफ परिधान पहनने चाहिए।

इसके बाद लाल या पितांबर पहनना चाहिए। यदि सोले से भगवान श्री गणेश की आराधना की जाए तो यह उत्तम होता है। भगवान श्री गणेश के मूर्ति शिल्प, मूर्ति, चित्र, प्रतिमा को विधिवत तरीके से स्थापित कर फल, फूल रौली, तिलक, अबीर , बुक्का समर्पित कर जनेउ धारण करवाना चाहिए। इसके बाद भगवान को प्रसन्न करने के लिए ऊॅं श्री गणेशाय नमः का जाप करना चाहिए।

इस दिन चंद्र का दर्शन कर या फिर चंद्र दर्शन न हो तो चंद्र कुमकुम से एक लकड़ी के पटिये पर मांडकर उसका पूजन करना चाहिए। भगवान श्री गणेश के लिए मोदक बनाकर उसका भोग लगाना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इसके साथ ही भोजन कर व्रत पूर्ण करना चाहिए। 

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