चातुर्मास में भगवान शिव ऐसे संभालेंगे सृष्टि का भार
चातुर्मास में भगवान शिव ऐसे संभालेंगे सृष्टि का भार
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आज से चातुर्मास का आरम्भ होता है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते. चातुर्मास आषाढ़ की शुक्ल पक्ष एकादशी से शुरू  होता है जिसमें भगवान विष्णु क्षीर सागर की ओर प्रस्थान करते हैं. कहते हैं यह स्थान पाताललोक में है जहां बाली निवास करते हैं. इसी स्थान पर भगवान विष्णु चार महीनों के लिए जाते हैं और विश्राम करते हैं. शादी, जनेऊ और उपनयन जैसे कार्य नहीं किये जाते. आज से ये सभी शुभ काम चार महीनों के लिए रोक दिए गए हैं.

चातुर्मास में करें खाने की इन चीज़ों का त्याग

चातुर्मास में ये भी कहा जाता है जब भगवान विष्णु निंद्रा में होते हैं उन चार महीनों के लिए भगवान शिव सृष्टि का कार्य सम्भालते हैं. भगवान विष्णु का दायित्व बगवान शिव निभाते हैं. इन महीनों में भगवान का अत्यधिक पूजा जाता है और जैन धर्म में पवित्र पर्युषण पर्व भी इन्हीं दिनों में आता है. आपको बता दें, चातुर्मास में उपवास करने चाहिए और उपवास के साथ-साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए जो आपको शुभ फल प्रदान करता है. चातुर्मास में कोई भी अशुभ काम न करें.

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कई लोग चातुर्मास में खाने की चीज़ों को भी त्याग देते हैं और उन चार महीनों में उनका सेवन नहीं करते. इसमे पत्तेदार सब्जियां, बेंगन दही जैसी चीज़ों को त्याग देना चाहिए. चातुर्मास में चारपाई पर सोना, मांस मदिरा का सेवन करना, शहर का त्याग करना भी वर्जित है. इतना ही नहीं चातुर्मास में उपवास करते हुए नमक का त्याग करने वाले को पूर्व में कर्म में सफलता प्राप्त होती है.

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