केदारनाथ के बाद बदरीनाथ के कपाट भी खोलने की मांग
केदारनाथ के बाद बदरीनाथ के कपाट भी खोलने की मांग
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आज केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की नई तिथि तय होनी थी। इस दौरान वरिष्ठ तीर्थपुरोहितों ने यह फैसला लिया कि कपाट तय तिथि 29 अप्रैल को ही खुलेंगे। इसके बाद अब श्रीबदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने केदारनाथ की तरह ही बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूर्व में तय तिथि 30 अप्रैल को खोलने की मांग की है। पंचायत के प्रवक्ता व विधि समिति के अध्यक्ष पंकज डिमरी ने टिहरी नरेश मनुजेंद्र शाह को भेजे पत्र में कहा है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बदरीनाथ की शीतकाल में पूजा देवताओं द्वारा की जाती है।नारद पुराण के अध्याय 2/67/39 में इसका उल्लेख है। वहीं प्रतिवर्ष बैशाख मास से मानवों द्वारा बदरीनाथ की पूजा प्रारंभ की जाती है। यही शास्त्रीय विधान है। तिथि परिवर्तन कर 15 मई किए जाने से धाम के कपाट जेठ मास में कृष्ण पक्ष में खुल रहे हैं। 

इसके साथ ही जिस कारण शास्त्र सम्मत मान्यता का उल्लंघन हो रहा है, जो अनुचित है। उन्होंने बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूर्व कार्यक्रम के अनुसार खोले जाने पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई है।कोरोना लॉकडाउन के मद्देनजर बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख में बदलाव किया गया है। अब बदरीनाथ के कपाट 15 मई को खुलेंगे। इतिहास में यह पहली बार है जब कपाट खुलने की तारीख बदली गई है।भगवान केदारनाथ धाम के कपाट तय तिथि यानी 29 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे ही खुलेंगे। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचगाई समिति के प्रमुख लोगों के साथ वरिष्ठ तीर्थपुरोहित, आचार्य और वेदपाठियों की मौजूदगी में केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। 

ऐसा बताया गया कि बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने कपाट खुलने के समय में बदलाव का पुरजोर विरोध किया। सूत्रों के अनुसार बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने दो तर्क दिए। पहला ये कि केदारनाथ धाम में पहले भी तीर्थ-पुरोहित ही कपाट खुलने की मुख्य पूजा करते रहे हैं। वहीं दूसरा तर्क यह था कि कपाट खुलने की तिथि या लग्न बदलना शुभ नहीं होता। बैठक में ये बात भी सामने आई कि अगर, केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में बदलाव होता है, तो इससे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में भी बदलाव करना पड़ेगा, जो कि पहले से ही क्रमश: 11 मई व 20 मई के लिए तय की गई हैं। 

आज केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की नई तिथि तय होनी थी। इस दौरान वरिष्ठ तीर्थपुरोहितों ने यह फैसला लिया कि कपाट तय तिथि 29 अप्रैल को ही खुलेंगे। इसके बाद अब श्रीबदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने केदारनाथ की तरह ही बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूर्व में तय तिथि 30 अप्रैल को खोलने की मांग की है। पंचायत के प्रवक्ता व विधि समिति के अध्यक्ष पंकज डिमरी ने टिहरी नरेश मनुजेंद्र शाह को भेजे पत्र में कहा है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बदरीनाथ की शीतकाल में पूजा देवताओं द्वारा की जाती है।नारद पुराण के अध्याय 2/67/39 में इसका उल्लेख है। वहीं प्रतिवर्ष बैशाख मास से मानवों द्वारा बदरीनाथ की पूजा प्रारंभ की जाती है। यही शास्त्रीय विधान है। तिथि परिवर्तन कर 15 मई किए जाने से धाम के कपाट जेठ मास में कृष्ण पक्ष में खुल रहे हैं। 

इसके साथ ही जिस कारण शास्त्र सम्मत मान्यता का उल्लंघन हो रहा है, जो अनुचित है। उन्होंने बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूर्व कार्यक्रम के अनुसार खोले जाने पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई है।कोरोना लॉकडाउन के मद्देनजर बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख में बदलाव किया गया है। अब बदरीनाथ के कपाट 15 मई को खुलेंगे। इतिहास में यह पहली बार है जब कपाट खुलने की तारीख बदली गई है।भगवान केदारनाथ धाम के कपाट तय तिथि यानी 29 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे ही खुलेंगे। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचगाई समिति के प्रमुख लोगों के साथ वरिष्ठ तीर्थपुरोहित, आचार्य और वेदपाठियों की मौजूदगी में केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। 

ऐसा बताया गया कि बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने कपाट खुलने के समय में बदलाव का पुरजोर विरोध किया। सूत्रों के अनुसार बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने दो तर्क दिए। पहला ये कि केदारनाथ धाम में पहले भी तीर्थ-पुरोहित ही कपाट खुलने की मुख्य पूजा करते रहे हैं। वहीं दूसरा तर्क यह था कि कपाट खुलने की तिथि या लग्न बदलना शुभ नहीं होता। बैठक में ये बात भी सामने आई कि अगर, केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में बदलाव होता है, तो इससे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में भी बदलाव करना पड़ेगा, जो कि पहले से ही क्रमश: 11 मई व 20 मई के लिए तय की गई हैं। 

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