सावन के महीने में इस तरह करें शिव मंत्रों का जाप
सावन के महीने में इस तरह करें शिव मंत्रों का जाप
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महादेव की उपासना के लिए सबसे पावन माने जाने वाला श्रावण मास 25 जुलाई 2021 से आरम्भ होकर 22 अगस्त 2021 तक रहेगा। प्रथा है कि सावन माह में महादेव एवं माता पार्वती पूरी पृथ्वी का भ्रमण करते हैं तथा अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही वजह है कि कोई महादेव भक्त लंबी यात्रा करके महादेव को अर्पित करने के लिए गंगा जल लेने जाता है तो कोई मंत्र जप के जरिए उनकी कृपा पाने की कोशिश करता है। आइए जानते हैं कि 12 राशियों से संबंधित वो मंत्र जिनका श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाप करने पर महादेव की कृपा बरसने लगती है –

मेष राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नम: शिवाय‘ मंत्र का जप करें।

वृष राशि का शिव मंत्र – वृष राशि के जातक ‘ॐ नागेश्वराय नमः‘ का जप करें।

मिथुन राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:’ मंत्र का जप करें।

कर्क राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ चंद्रमौलेश्वर नम:’ मंत्र का जाप करें।

सिंह राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:’ मंत्र का जाप करें।

कन्या राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नमो शिवाय कालं ॐ नम:’ मंत्र का जप करें।

वृश्चिक राशि का शिव मंत्र– ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप विशेष रूप से करें।

धनु राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:’ मंत्र का जप करें।

मकर राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप करें।

कुंभ राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप करें।

मीन राशि का शिव मंत्र – ‘ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:’ मंत्र का जप करें।

कैसे जपें महादेव का मंत्र:-
श्रावण मास में महादेव के मंत्र जप को करने के लिए सुबह स्नान–ध्यान से निवृत्त होकर शिवलिंग की गंगाजल, बेलपत्र अथवा शमी पत्र, फल–फूल आदि से यथा संभव पूजा करें। तत्पश्चात, एक पवित्र आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से अपनी राशि के मुताबिक, मंत्र का जप करें। मंत्र जप करते वक़्त रुद्राक्ष की माला को गोमुखी में छिपाकर रखें तथा मंत्र का जप अपने मन में करें।

राशि न ज्ञात होने पर जपें यह मंत्र:-
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

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