May 30 2016 08:13 PM
मुम्बई: बाम्बे हाईकोर्ट ने एक मेडिकल स्नातक को राहत देते हुए कहा कि सरनेम बदल जाने से किसी की जाति नहीं बदल जाती. इस छात्र को वैध प्रमाण पत्र पेश करने के बावजूद एसटी वर्ग में नामांकन करने से इंकार कर दिया था. इंकार की वजह सरनेम बदलने को माना गया|
याची शांतनु हरि भारद्वाज ने उल्लेख किया कि उसके पास जाति का वैध प्रमाण पत्र है. और वह एसटी वर्ग से आता है. इसके बावजूद पोस्ट ग्रेजुएट में उनके नामांकन पर इसलिए विचार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि उसका सरनेम बदला हुआ है|
अदालत ने कहा कि यदि सरनेम बदल गया है तो इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति की जाति बदल गई. याची ने विशेष रूप से कहा कि उसके सरनेम में परिवर्तन सरकारी गजट में उचित तरीके से अधिसूचित किया हुआ है|
याची के पक्ष में आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने प्रतिवादी को अंत:कालीन राहत देने के जरिए याची के आरक्षित श्रेणी से दावे पर विचार करने के निर्देश दिए. सुनवाई करने वाली अवकाशकालीन पीठ में जस्टिस शालिनी फन्सालकर जोशी और जस्टिस बीआर गवई शामिल थे|
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