कैसे और क्यों लगता है चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिए यहाँ
कैसे और क्यों लगता है चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिए यहाँ
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8 नवंबर, मंगलवार यानी आज साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। जी हाँ और यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई जगहों पर देखा जा सकेगा। आप सभी जानते ही होंगे हिंदू मान्यताओं में ग्रहण का विशेष स्थान होता है। जी दरअसल ग्रहण को शुभ घटना नहीं मानते है, जबकि विज्ञान के नजरिए से ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना होती है। आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन लग रहा है जबकि 15 दिन पहले 25 अक्तूबर को दिवाली के फौरन बाद कार्तिक अमावस्या तिथि पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था। अब आज हम आपको बताते हैं ग्रहण हमेशा पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर ही क्यों लगता है?


चंद्र ग्रहण कैसे लगता है?- कहा जाता है सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। जी हाँ और इस प्रक्रिया में एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है। इसी घटना को खगोलीय घटना के रूप में चंद्रग्रहण कहा जाता है।

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हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही चंद्र ग्रहण क्यों?- हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही होता है। जी हाँ और हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर एक महीने में पूर्णिमा तिथि जरूर आती है लेकिन हर पूर्णिमा पर ग्रहण लगे ऐसा संभव नहीं होता। जी दरअसल चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा पर करीब 5 डिग्री तक झुकी रहती है और इस झुकाव के कारण हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होकर नहीं गुजरता है। इस वजह से ज्यादातर मौके पर चंद्रमा पृथ्वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है। जी हाँ और इस कारण से हर पूर्णिमा की तिथि चंद्र ग्रहण की घटना नहीं होती है, लेकिन जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो उस दिन पूर्णिमा होती है और सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में आ जाते हैं। इस कारण से पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण संभव होता है।

सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर क्यों?- दूसरी तरफ अमावस्या तिथि पर ही सूर्य ग्रहण क्यों लगता है इसके जवाब को जानने के बारे में सोचा जाए तो, ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर काटता है और एक चक्कर काटने में 27 दिन लगते हैं। वहीं जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य में चंद्रमा आ जाता है तो इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते है। अमावस्या तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है इस कारण से अमावस्या तिथि पर ही हमेशा सूर्य ग्रहण होता है।

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