मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले समेत लगभग 20 जिलों में फैले एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होकर मौत के मुंह से बच चुके बच्चों के अब दिव्यांग होने की आशंका जताई जा रही है. एईएस के कारणों की जांच कर रही केंद्रीय टीम ऐसे बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पीड़ित बच्चों के परिजनों की काउंसलिंग की आवश्यकता बताई है.
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार और जांच टीम की अध्यक्षता कर रहे डॉ़ एके सिन्हा ने आशंका जताते हुए कहा है कि एईएस पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं या उनके शरीर के किसी अंग पर प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में ठीक होकर घर लौटे बच्चों में रोगों से बचने के लिए प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है. पीड़ित बच्चों के परिवार वालों को काउंसलिंग की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा है कि बीमारी से उबरे बच्चों के अभिभावकों को इसके प्रति जागरूकता बच्चों के लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर समेत बिहार के कई जिलों में इस साल गर्मी के मौसम में एईएस का प्रकोप प्रारंभ हो गया था. हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश शुरू होने के बाद एईएस से पीड़ित बच्चों के अस्पताल आने की तादाद में कमी आई है.
मोदी सरकार ने ख़त्म की 92 वर्ष पुरानी परंपरा, अब आम बजट के साथ ही पेश होता है रेल बजट
युवाओं के लिए बम्पर भर्ती, NIT में मिल रहा सुनहरा मौका
कर्ज में गले तक डूबे अनिल अम्बानी, अब ऋण चुकाने के लिए लिया ये फैसला