सरकार के प्रचार के लिए चाचा चौधरी के उपयोग पर बवाल
सरकार के प्रचार के लिए चाचा चौधरी के उपयोग पर बवाल
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केंद्र सरकार अपनी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए चाचा चौधरी जैसे मशहूर कॉमिक्स पात्र का उपयोग करने से भी बाज नहीं आई. महंगाई पर लगाम लगाने में विफल रही सरकार करोड़ों रुपए प्रचार में खर्च कर रही और लगातार कर रही है. इस तरह की किताबों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत पाठ्य पुस्तकों के अलावा बच्चों के अन्य अध्ययन (Extra Curricular Reading) के लिए प्रकाशित किया गया है. इन्हें पांचवी से दसवीं कक्षा के छात्रों को बांटा जाना है. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे को उठाया है. सुप्रिया के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लाई गई पांच योजनाएं लोगों के लिए कितनी लाभकारी हैं, ये बताने के लिए ‘चाचा चौधरी’ के कॉमिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. सुप्रिया हैरानी जताती हैं कि इस कॉमिक्स को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर महाराष्ट्र के राज्य शिक्षा विभाग ने तैयार किया है और राज्य के सभी जिला परिषद स्कूलों में बांटा जा रहा है.  ऐसी केवल एक किताब नहीं है बल्कि विभिन्न मुद्दों पर कई किताबे हैं. एक किताब में पीएम मोदी की बायोग्राफी है. एक किताब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर है. एक किताब में कॉमिक करेक्टर मिकी माउस का भी इस्तेमाल किया गया है. बताया जा रहा है कि इस तरह की किताबें सभी प्रादेशिक भाषाओं में प्रिंट कराई गई हैं. बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मराठी भाषा में प्रकाशित ‘चाचा चौधरी आणि मोदी’ (चाचा चौधरी और मोदी) नामक किताब को दिखाया. सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस हद तक चली गई है कि बीजेपी सरकार की योजनाओं को प्रमोट करने के लिए स्कूली बच्चों को भी नहीं छोड़ रही. कॉमिक्स मराठी भाषा में है.  

सुप्रिया सुले ने कहा, ‘बच्चों को अच्छा पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए लेकिन ये दुख की बात है कि सरकार की ओर से इस तरह की किताबें बांटी जा रही हैं. ये खुशी की बात है कि इसमें स्वच्छता का पाठ है. लेकिन हर पेज पर, फ्रंट पर, बैक पर मोदी साहब की फोटो होने के क्या मायने हैं. इसकी जगह संत गाडगे बाबा या अन्य किसी राष्ट्रीय नेता की तस्वीर भी इस्तेमाल की जा सकती थी. इससे आने वाली पीढ़ी के लिए अनुसरण को कोई रोल मॉडल होता. लेकिन दुख की बात है कि सरकार निहित स्वार्थ के लिए खुद को ही प्रमोट कर रही है. इसके लिए पेट्रोल पम्पों का ही इस्तेमाल नहीं अब ये इस हद तक पहुंच चुकी है कि शिक्षा को भी इसके लिए जरिया बनाया जा रहा है. इस मुद्दे पर प्रसिद्ध शिक्षाविद हेरंब कुलकर्णी ने कहा, ‘इस सरकार को अपनी प्रशंसा का बाजा बजाने की आदत है. हकीकत ये है कि अपने काम के नाम पर बताने के लिए इसके पास ज्यादा कुछ नहीं है. यही वजह है कि बीजेपी सरकार स्कूली बच्चों को भी अपने प्रोपेगंडा के लिए नहीं छोड़ रही है. केंद्र सरकार शिक्षा में भी दखल दे रही है. ये बहुत दुखद है.’ आरटीआई एक्टिविस्ट विहार धुर्वे का कहना है कि किताब के हर पेज पर मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, इसके मायने ये है कि बीजेपी मोदी को ज्यादा प्रमोट करने में शामिल हैं. और इसमें बच्चों के लिए पूरक स्तरीय पठन को बहुत कम संदेश है.

एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं खोलने की शर्त पर बताया कि 80 प्रकाशकों से 3000 किताबों की सामग्री मंगाई गई थी, उनमें से 1600 किताबों को शार्टलिस्ट किया गया, जिन्हें 69 प्रकाशकों ने प्रिंट किया. साफ जाहिर है कि मार्केटिंग में माहिर बीजेपी खुद के निहित स्वार्थ के लिए ये सब कर रही है और इसे भी विकास योजना का नाम देकर जनता को बरगला रही है. 

 

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