पटना: मनरेगा को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह अकसर यह कहते रहे हैं कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मनरेगा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार होता था, जबकि मोदी सरकार ने ना सिर्फ मनरेगा के बजट को कई गुना बढ़ा दिया, बल्कि इसके साथ ही सरकार इस पूरी योजना में पारदर्शिता भी लेकर आई है। इसी बीच हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को एक पत्र लिखते हुए चेतावनी दी है कि मनरेगा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, नहीं तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया है कि उन्होंने मनरेगा के तहत दिए जा रहे फंड के उपयोग और इस पूरी योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता का मुद्दा बार-बार उठाया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्यों के लिए अंतिम चेतावनी है। यदि वे अभी भी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते हैं, तो हम अक्टूबर में मनरेगा बजट को उनके श्रम बजट से जोड़ने के लिए विवश होंगे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखते हुए मनरेगा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रक्रियाओं का पालन करने का आग्रह किया है। मनरेगा में किसी तीसरे पक्ष या सामाजिक लेखा परीक्षा इकाई के स्वतंत्र निदेशक द्वारा किए जाने वाले कार्य के सोशल ऑडिट का प्रावधान है। मंत्रालय ने तमाम प्रदेशों से एक स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने और सभी ग्राम पंचायतों के लिए सोशल ऑडिट करने का आग्रह किया है।
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