नई दिल्ली : यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2012 के दौरान कर्ज में डूबे राज्यों की सहायता को लेकर अहम घोषणा की गई थी लेकिन हाल ही में मोदी सरकार के द्वारा इस राहत पैकेज को देने से मना कर दिया गया है. इसके साथ ही सरकार ने बिजली मुहैया करवाये जाने वाली योजना को भी बंद करने का फैसला लिया है जिससे अब राजस्थान सरकार पर खतरे के बदल मंडराने लगे है. इस दौरान राजस्थान को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाला राहत पैकेज भी ख़त्म हो जाना है जिससे राज्य सरकार मुसीबत में आने वाली है और इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने अब किसानों को अपने बिल खुद ही भरने के निर्देश भी दिए है.
मामले में यह बात भी सामने आ रही है कि राज्य सरकारों पर सबसे ज्यादा कर्ज बिजली को लेकर ही है और इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि बैंक्स का करीब 610 अरब रूपये का कर्ज राजस्थान सरकार द्वारा संचालित की जा रही युटिलिटीज पर है. जानकारी में यह सामने आया है कि यहाँ हमेशा से ही बिजली को लेकर बहुत परेशानी रहती है. और अब राज्य के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया है कि राज्य सरकार को चाहिए की वह मौजूदा भुगतान दर को लागु करने पर विचार करें. देखा जा रहा है कि इस कारण प्रधानमंत्री की मुफ्त बिलजी की योजना भी संकट में है.