Oct 08 2015 05:43 PM
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी डी अहमद तथा न्यायाधीश संजीव सचदेवा की पीठ ने दोहराया है की केंद्र की मोदी सरकार ने अभी तक फेसबुक व यूट्यूब तथा अन्य सोशल मीडिया साइट्स के साथ हुए अपने करारों को क्यों छुपाए हुए है. पीठ ने दोहराया है की आप उन्हें अनुबंधों को क्यों नहीं सौंप रहे हैं. आखिरकार इसमें संकोच किस बात का है. आपको इसके लिए आदेश दिए पांच माह से अधिक समय हो चूका है फिर भी आप यह क्यो नही कर रहे है.
गौरतलब है की सात मई को केंद्र ने सरकार या सरकारी विभागों की ओर से इंटरनेट को लेकर सोशल मीडिया वेबसाइटों के साथ हुए करारो व अनुबंधों के लिए कोर्ट से समय माँगा था. इस पर केंद्र सरकार के सरकारी वकील ने दोहराया है की सरकार के इन वेबसाइटों के साथ मानक अनुबंध है तथा वे कोई खास अनुबंध के तहत नही है. तथा इसके लिए अदालत ने केंद्र सरकार को 28 अक्तूबर की तारीख दी है.
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