नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की महंगाई से आम जनता हाहाकार कर रही है. सरकार से निरंतर कीमतों में कमी करने की गुहार लगाई जा रही है. वहीं, इसी महीने मोदी सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती कर जनता को थोड़ी राहत दी है. हालांकि, अभी भी सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल के भाव में जो राहत दी गई है, वो पर्याप्त नहीं है. क्योंकि, कई राज्यों में पेट्रोल अभी 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है.
हालांकि, लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों ने वैट (VAT) में कटौती कर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लोगों को अतिरिक्त राहत दी है.
इस बीच शीतकालीन सत्र के पहले दिन महंगे पेट्रोल और डीजल का मुद्दा संसद में भी गूंजा. दरअसल तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद माला रॉय (Mala Roy) ने लोकसभा में सरकार ने सवाल किया कि पेट्रोल और डीजल पर सरकार को एक्साइज ड्यूटी के रूप में कितनी कमाई होती है.
इसके जवाब में वित्त मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में कहा गया कि सरकार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) के तौर पर 27.90 रुपये लीटर और डीजल पर प्रति लीटर 21.80 रुपये की आमदनी होती है. बता दें कि गत वर्ष कोरोना संकट के दौरान कच्चे तेल के भाव गिरने से सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था. पेट्रोल पर 13 रुपये और डीजल पर 16 रुपये की वृद्धि हुई थी. फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.8 रुपये लीटर उत्पाद शुल्क वसूलती है.
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