नई दिल्लीः देशभर के सरकारी स्कूलों में चलाए जा रहे मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। हाल फिलहाल में कई राज्यों से इस तरह की खबरें आती रही हैं। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसलिए केंद्र सरकार अब इस पर उठ रहे सवालों को लेकर गंभीर हो गई है। केंद्र सरकार ने इस पूरी व्यवस्था को और पुख्ता बनाने की दिशा में मंथन शुरु कर दिया है। राज्यों के साथ जल्द ही इसे लेकर चर्चा की तैयारी है। फिलहाल सभी राज्यों से सुझाव देने को कहा गया है।
राज्यों के स्कूली शिक्षा सचिवों को लिखे खत में मंत्रालय ने साफ किया है, कि एफसीआई से मिलने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाए। उसकी गुणवत्ता को जांचने के बाद ही आंवटन लिया जाए। स्कूलों से भी मिलने वाले खाद्यान्न को परखने के लिए कहा गया है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार यह कदम कई राज्यों में स्कूलों में सप्लाई किए गए खराब खाद्यान्न की शिकायत मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है।
अगली कड़ी में राज्यों के साथ प्रस्तावित चर्चा में स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर भी कुछ सख्त कदम देखने को मिल सकते है। बच्चों के खाने को पौष्टिक बनाने के साथ उनमें सामुदायिक वातावरण में ढालने के लिहाज से प्रत्येक सरकारी स्कूलों में किचन गार्डेन को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि इसकी शुरुआत कुछ स्कूलों में प्रयोग के तौर पर की गई थी, मगर स्कूलों में इसे लेकर बढ़ती रुचि को देखते हुए अब इसे सभी स्कूलों के लिए जरूरी कर दिया गया है।
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